पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के जम्मू-कश्मीर पर दिए बयान पर विवाद हो गया है। आसिफ ने कहा था कि वे भी कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन की तरह जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली चाहते हैं। ख्वाजा के इस बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- कांग्रेस और पाकिस्तान के इरादे और एजेंडा एक ही हैं। पिछले कुछ सालों से राहुल गांधी हर एक भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े दिखे हैं।
जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा- पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। वे पाकिस्तान के इशारों पर नाच रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC)-कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की कठपुतली के रूप में काम कर रहे हैं।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि अगर गठबंधन सत्ता में आता है तो आर्टिकल 370 को वापस लाएंगे।
पाक रक्षा मंत्री बोले- संभावना है जम्मू-कश्मीर में कॉन्फ्रेंस की सरकार बनेगी पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो न्यूज से चर्चा कर रहे थे। पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने ख्वाजा से जब सवाल किया तो उन्होंने कहा था, ‘हम आर्टिकल 370 और 35ए की बहाली पर एकमत हैं।’
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने यह भी दावा किया कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आता है तो आर्टिकल 370 वापस आ सकता है।
ख्वाजा ने कहा- मुझे लगता है कि यह संभव है। वर्तमान में, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का वहां बहुत दबदबा है। घाटी की आबादी इस मुद्दे पर संवेदनशील है और संभावना है कि कॉन्फ्रेंस (नेशनल कॉन्फ्रेंस) सत्ता में आएगी।
पाक रक्षा मंत्री के बयान पर 2 जवाब…
1. अमित शाह बोले- पाकिस्तान और कांग्रेस का एजेंडा एक ही है
गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया X पर लिखा, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का आर्टिकल 370 और 35A पर कांग्रेस और JKNC के समर्थन की बात ने एक बार फिर कांग्रेस को एक्सपोज कर दिया। इस बयान ने फिर एक बार यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस और पाकिस्तान के इरादे भी एक हैं और एजेंडा भी। पिछले कुछ वर्षों से राहुल गांधी देशवासियों की भावनाओं को आहत करते हुए भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े रहे हैं।
शाह ने आगे लिखा, एयर स्ट्राइक व सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने हों या भारतीय सेना के बारे में आपत्तिजनक बातें करना हो, राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी और पाकिस्तान के सुर हमेशा एक रहे हैं। कांग्रेस का हाथ हमेशा देश विरोधी शक्तियों के साथ रहा है। कांग्रेस पार्टी और पाकिस्तान यह भूल जाते हैं कि केंद्र में मोदी सरकार है, इसलिए कश्मीर में न तो आर्टिकल 370 वापस आने वाला है और न ही आतंकवाद।
अब जानिए जम्मू-कश्मीर चुनाव में आर्टिकल 370 मुद्दा क्यों…
2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।
नई सरकार का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल का होगा सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का आदेश दिया था। राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। चुनाव के बाद नई सरकार का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल का होगा।
जम्मू-कश्मीर की 90 सीटें, परिसीमन में 7 जुड़ीं जम्मू-कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव में 87 सीटें थीं, जिनमें से 4 लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने पर 83 सीटें बची थीं। बाद में परिसीमन के बाद 7 नई सीटें जोड़ी गईं। उनमें 6 जम्मू और 1 कश्मीर में हैं। अब कुल 90 सीटों पर चुनाव हो रहा है। इनमें 43 जम्मू, 47 कश्मीर संभाग में हैं। 7 सीटें SC (अनुसूचित जाति) और 9 सीटें ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए रिजर्व हैं।