छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने राज्य में केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) का दायरा तय कर दिया है। इसके तहत सीबीआई अब प्रदेश में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में कार्रवाई कर सकती है, लेकिन राज्य सरकार के अधीन काम कर रहे अफसरों व कर्मचारियों पर कार्रवाई से पहले उसे सरकार की अनुमति लेनी होगी। राज्य के कर्मियों के खिलाफ चालान या कानूनी कार्रवाई के लिए उसे राज्य सरकार की सहमति लेनी होगी।
इस बारे में छत्तीसगढ़ गृह विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। इससे पहले पिछली कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में सीबीआई की एंट्री पर ही रोक लगा दी थी। उस समय के सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि एनडीए सरकार में सीबीआई की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य के अधिकारियों को परेशान किया जा रहा है। इसलिए सीबीआई की एंट्री पर रोक लगाई गई है। इसके बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और मार्च 2024 में सीबीआई पर लगी रोक हटा दी।
बता दें कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रभावी होने से दिल्ली पुलिस विशेष स्थापना अधिनियम की धारा (6) के तहत सीबीआई ने छत्तीसगढ़ में जांच के लिए सहमति मांगी थी। इसलिए अधिसूचना जारी की गई है। इसमें बाकी अपराधों के लिए सभी सहमति रहेगी। हालांकि, यह सहमति इस शर्त के अधीन है कि छत्तीसगढ़ सरकार के अधीन आने वाले कर्मचारियों से जुड़े मामलों में राज्य सरकार की पूर्व लिखित अनुमति के बिना जांच नहीं की जाएगी। वैसे सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार से मंजूरी की अनिवार्यता को सबसे पहले मध्य प्रदेश ने बीते जुलाई महीने में ही लागू किया था।
फिलहाल सीबीआई के पास छत्तीसगढ़ में 3 केस
साय सरकार अपने 10 महीने के कार्यकाल में 3 केस सीबीआई को सौंप चुकी है। इसमें महादेव सट्टा एप, बिरनपुर हिंसा और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएसपी)घोटाला शामिल है। हालांकि खास बात यह है कि सीजीपीएससी घोटाले में जिन अफसरों पर आरोप है, वे सभी राज्य सेवा के ही हैं। इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाने की घोषणा भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में की थी