बिजली गुल होने और जनरेटर बंद पड़े होने के दौरान डॉक्टरों ने मोबाइल टार्च की रोशनी में एक मरीज का ऑपरेशन किया। डॉक्टरों ने सूझबूझ दिखाते हुए मरीज की जान बचा ली। सिविल सर्जन इससे खुश नहीं हुए, बल्कि अस्पताल के सभी जनरेटर बंद होने और बदइंतजामी जगजाहिर होने पर उन डॉक्टरों को ही नोटिस थमा दिया।
डॉक्टरों से 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा गया है। जिला अस्पताल में भारी अव्यवस्था है। अधिकांश मरीजों को तो सीधे सिम्स रेफर कर दिया जाता है। ताकि कम से कम लोगों को भर्ती करना पड़े और उनके देखरेख की जिम्मेदारी भी न उठानी पड़े। इन सबके बीच यदि कोई डॉक्टर मरीज का भला करे, तो उसे अफसरशाही का सामना पड़ता है। अभी हाल ही में यहां ऐसा एक मामला सामने आया।
सर्जरी के दौरान बिजली गुल हो गई। इससे डॉक्टरों ने मोबाइल टार्च की रोशनी में ऑपरेशन पूरा किया और मरीज की जान बचा ली। लोगों ने सोशल मीडिया और अन्य मंच पर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की सराहना की। लेकिन दूसरी तरफ जिला अस्पताल में चल रही भर्राशाही भी इससे उजागर हो गई। खबर से यह भी पता चल गया कि जिला अस्पताल में एक नहीं, कई जनरेटर हैं।
लेकिन सभी बंद पड़े हैं। यहां बिजली गुल होने पर तत्काल राहत की कोई व्यवस्था नहीं है। बल्कि बिजली गुल होने के बाद जनरेटर शुरू करने डीजल मंगवाने के लिए जूझना पड़ता है। इस तरह की गंभीर लापरवाही उजागर हो जाने पर सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता ने अपनी खीझ डॉक्टरों पर उतारी।
उन्होंने गायनिक विभाग की डाॅ. वंदना चौधरी और सर्जन नितेश राही को नोटिस थमा दिया है। आरोप लगाया है कि उन्होंने ऑपरेशन थियेटर की तस्वीर वायरल दी। बता दें कि जिला अस्पताल में यह पहला मामला नहीं है। बल्कि, इससे पहले भी इसी तरह मोबाइल टार्च की रोशनी में ऑपरेशन किए जाते रहे हैं। डाॅक्टर बिजली की इस समस्या को सिविल सर्जन को अवगत भी कराते रहे हैं, लेकिन व्यवस्था नहीं सुधर सकी।