महादेव सट्टा ऐप…आरोपियों को नहीं मिली बेल : हाईकोर्ट ने कहा- इतने बड़े अपराध और धोखाधड़ी केस में नहीं दी जा सकती जमानत…!!

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महादेव सट्टा ऐप के माध्यम से करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने वाले हवाला कारोबारी, एबिलिटी के गेम्स के एमडी सहित अन्य आरोपियों की जमानत अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। सभी आरोपियों को ED ने गिरफ्तार किया है। सभी अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं।

जस्टिस रविंद्र अग्रवाल ने कहा कि इतने बड़े आर्थिक अपराध और धोखाधड़ी के केस में आरोपियों को बेल नहीं दी जा सकती।

एबिलिटी गेम्स के एमडी समेत आरोपियों को बेल नहीं

दरअसल, महादेव ऐप के माध्यम से हजारों करोड़ रुपए का घोटाला करने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच की और इस मामले से जुड़े नामचीन कारोबारियों की गिरफ्तारियां की, जिसमें एबिलिटी गेम्स के एमडी सूरज चोखानी, भोपाल के हवाला कारोबारी गिरीश तलरेजा,नितिन तिबरेवाल, सूरज चोखानी, अमित अग्रवाल जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

ऐप के पैसे को किया इन्वेस्ट

ED का दावा है कि आरोपियों में सट्टेबाजी ऐप के करीब 423 करोड़ रुपए चोखानी ने शेयर मार्केट में इन्वेस्ट किया है। वहीं अन्य आरोपियों की भी अहम भूमिका रही है। गिरीश तलरेजा भोपाल का हवाला ऑपरेटर है। उसने 500 करोड़ से अधिक के लेन-देन किया है।

स्पेशल कोर्ट ने खारिज की थी बेल

ED ने इन सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद विशेष कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। आरोपियों ने ED की विशेष कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था।

ED बोली- देशभर में फैलाया अवैध कारोबार

इस मामले में आरोपियों ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि ED ने बिना तथ्यों की जांच कर उन्हें फंसाया है। वहीं, ED की तरफ से कहा गया कि इस संगठित अपराध को राजनितिक संरक्षण में चलाया जा रहा था, जांच में इसका खुलासा हुआ है।

स्काई एक्सचेंज में नए लोगों को जोड़ने, आईडी बनाने, बेनामी बैंक खातों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के लिए प्लेटफार्म तैयार करने में आरोपियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत अर्जी

हाईकोर्ट की जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। सभी पक्षो की सुनवाई के बाद इन सभी आरोपियों की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह माना कि इतने बड़े आर्थिक अपराध और जनता के साथ किए गए इस धोखे में जमानत देने का सवाल ही नहीं उठता।

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