उत्तरप्रदेश के बिल्डर से 15 करोड़ की ठगी के आरोप में वांटेड केके श्रीवास्तव 60 दिनों बाद भी कोई क्लू नहीं मिला है। वह अब तक पं. बंगाल, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में छिपता रहा है। लोकेशन के साथ वह अपना मोबाइल और नंबर भी लगातार बदल रहा है। पुलिस को इनपुट मिला है कि वह अब तक 20 लाख से ज्यादा के मोबाइल फोन एक-दो बार उपयोग के बाद तोड़कर नष्ट कर चुका है।
पिछली सरकार में वह ज्योतिष के नाम से चर्चित था। वह कई नेताओं के लिए ब्लैक मनी खपाने के लिए खातों की व्यवस्था करता था। खातों की जांच के दौरान 300 करोड़ का ट्रांजेक्शन मिला है। उसके पास 400 करोड़ से ज्यादा की कैश होने की भी सूचना है, जिसे उसने कहीं छिपा दिया हैं।
अफसरों और नेताओं से करीबी का फायदा उठाकर ही उसने यूपी बिल्डर को नवा रायपुर में 500 करोड़ का प्रोजेक्ट दिलाने का झांसा दिया और उससे पैसे लिए। श्रीवास्तव ने पैसे लेने के बाद भी कारोबारी को प्रोजेक्ट नहीं दिया। वह पैसे भी नहीं लौटा रहा था।
इस साल अगस्त में कारोबारी ने उसके खिलाफ केस दर्ज कराया। उसके बाद से वह फरार है। पुलिस अफसरों को उसके कुछ करीबियों से पूछताछ के बाद पता चला है कि वह अभी फरारी के दौरान जिस शहर में जा रहा है। वहां नया नंबर और मोबाइल खरीद रहा है। उसे दो-तीन दिन उपयोग करने के बाद तोड़कर नष्ट कर रहा है।
केके और उसका बेटा कंचन बीपीएल परिवारों के सदस्यों के नाम से खाता खुलवाते थे। उसमें पैसों का ट्रांजेक्शन करते थे। उन्होंने 50 से ज्यादा लोगों के नाम से खाते खुलवाकर उसमें करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन किया है।
तेलीबांधा पुलिस ने बताया कि श्रीवास्तव, उसके बेटे और कांग्रेसी नेता तीनों लगातार अपना नंबर भी बदल रहे हैं। इसलिए अब युकां नेता की भूमिका की भी जांच की जा रही है। गौरतलब है कि केके ने उत्तर प्रदेश के रावत एसोसिएट के मालिक अर्जुन रावत को स्मार्ट सिटी में 500 करोड़ का प्रोजेक्ट दिलाने का झांसा दिया था।
राजस्थान में मिला लोकेशन
केस दर्ज होने के बाद केके बिलासपुर से भागकर पहले पं. बंगाल गया। वहां कुछ दिन रहने के बाद उत्तरप्रदेश पहुंचा। वहां से झारखंड रांची आया। कुछ दिन यहां अलग-अलग शहरों में रहने के बाद दिल्ली भाग गया। अभी उसकी राजस्थान में छिपे होने की चर्चा में है। हालांकि पुलिस को रांची के एक मंदिर में केके और युवा कांग्रेसी नेता का सीसीटीवी फुटेज मिला है।
भ्रष्टाचार में फंसने के बाद हटाया गया सीईओ पद से
पुलिस के अनुसार केके श्रीवास्तव पहले सरकारी नौकरी में था। वह जिला पंचायत सीईओ भी था। उसने पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार किया। धांधली का खुलासा होने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया था। लंबे समय तक निलंबित रहने के बाद केके ने नौकरी छोड़ दी। फिर वह ज्योतिष का काम करने लगा।
कुछ समय बाद वह दिल्ली चला गया। वहां फिर उसने लाइजनिंग शुरू कर दी। वह राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार के कई बड़े नेताओं के संपर्क में रहा। वह उनके लिए लाइजनिंग भी करता था। चर्चा है कि उसने अर्जुन के अलावा कुछ अन्य लोगों से भी पैसा लिया है। कई लोगांे को उसने बड़ प्रोजेक्ट भी दिलाया है।