कलेक्टोरेट में पुलिस द्वारा शस्त्रों को हर चुनाव में सुरक्षा के मद्देनजर हर जिले में जमा करा लिया जाता है। इस बार विधानसभा चुनाव में इनमें से 10 हजार 524 हथियार जमा करवा लिए गए हैं। तीन हथियारों को जब्त किया गया है। 12 के शस्त्र लाइसेंस कैंसिल कर दिए गए हैं। पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत 1354 केस बनाए गए हैं। इन केसों की जांच में 1411 हथियार जब्त किए गए हैं। अब सवाल उठ रहा है कि शस्त्र केवल लोकसभा व विधानसभा चुनाव में ही जमा कराए जाते हैं। जबकि खतरा तो नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी बना रहता है।
जानकारों का कहना है कि इस संबंध में नियम संशोधित करने के बारे में विचार होना चाहिए। प्रदेश में बंदूक व पिस्तौल जैसे शस्त्र रखने वाले सैकड़ों लोग हैं। इनके पास देशी- विदेशी बंदूकें भी हैं। अधिकांश लोगों ने सुरक्षा के नाम पर शस्त्र लाइसेंस इश्यू करा रखा है। प्रदेश में कुछ महिलाएं भी लाइसेंसी हथियार रखती हैं। शस्त्र रखने वालों में रायपुर जिला सबसे आगे है। फिर बिलासपुर व दुर्ग का नंबर आता है। सबसे कम हथियार खैरागढ़, छुईखदान – गंडई जिले में हैं। फिर सारंगढ़ – बिलाईगढ़ व सक्ती का नंबर आता है। राज्य में लाइसेंसी हथियार 12 हजार 499 हैं।
चुनाव आचार संहिता लागू होते ही शस्त्रधारियों को नोटिस भेजी जाती है कि वे हथियार जमा करा दें। शस्त्र जमा करने पर उन्हें पावती दी जाती है। चुनाव परिणाम आने के बाद जैसे ही आचार संहिता खत्म होती है, हथियार लौटाना प्रारंभ हो जाता है। कई लाइसेंसियों का यह भी कहना है कि पुलिस उन्हें नोटिस नहीं भेजी, फिर भी जानकारी होने पर उन्होंने शस्त्र जमा करा दिए। अगर किसी को शस्त्र लाइसेंस की जरूरत होती है उसे कलेक्टोरेट में जिलाधीश को आवेदन करना पड़ता है। जिलाधीश इसे गृह विभाग को आवेदन अनुशंसा के साथ भेज देते हैं।
कहां कितने हथियार
रायपुर 1828, बलौदाबाजार 166, महासमुंद 309, धमतरी 365, गरियाबंद 242, दुर्ग 1004, राजनांदगांव 305, मोहला -मानपुर 224, खैरागढ़, छुईखदान – गंडई 112, कबीरधाम 327, बालोद 283, बेमेतरा 216, बिलासपुर 1068, गौरेला – पेंड्रा – मारवाही 123, कोरबा 376, रायगढ़ 537, सारंगढ़ – बिलाईगढ़ 129, जांजगीर -चांपा 454, सक्ती 123, मुंगेली 275, सरगुजा 687, बलरामपुर 286, सूरजपुर 372, कोरिया 178, मनेंद्रगढ़ – चिरमिरी – भरतपुर 186, जशपुर 250, बस्तर 290, दंतेवाड़ा 211, कांकेर 502, बीजापुर 273, नारायणपुर 231, सुकमा 233 व कोंडागांव – कुल 12,499।
निकाय व पंचायत चुनाव भी संवेदनशील
विभाग के अफसरों का कहना है कि शस्त्र केवल लोकसभा व विधानसभा चुनाव में ही जमा कराए जाते हैं। ऐसा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता है। जबकि खतरा तो नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी बना रहता है। नजदीकी मुकाबलों की वजह से आजकल ये चुनाव ज्यादा संवेदनशील होते जा रहे हैं। इस वजह से सरकार को अब इन चुनावों में शस्त्र जमा करवाने चाहिए। जानकारों का कहना है कि पंचायत चुनावों में तो स्पॉट पर ही मतों की गणना की जाती है। इसलिए नियम संशोधित होने चाहिए। हथियार जब्त कराने का नियम स्थानीय चुनाव में भी होना चाहिए।