छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम से निपटने इस साल खुले 5 थाने, एफआईआर सिर्फ पांच…!

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छत्तीसगढ़ पुलिस ने डीपफेक तकनीक के वीडियो कंटेंट को लेकर शुक्रवार को अलर्ट जारी कर दिया है। लोगों से कहा गया है कि सोशल मीडिया पर जो भी पोस्ट कर रहे हैं, उसे सुरक्षित रखें ताकि जांच के दौरान वास्तविक और डीपफेक कंटेंट में अंतर किया जा सके। सोशल मीडिया कंटेंट और साइबर क्राइम पर अभी छत्तीसगढ़ में पुलिस का कितना नियंत्रण है, इसे लेकर मीडिया ने पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि पिछले एक साल में साइबर क्राइम की जांच के लिए प्रदेश में 5 अलग थाने खोले गए हैं, लेकिन इनमें केवल 5 एफआईआर ही हो सकी हैं।

इनमें भी 4 एफआईआर ठगी की हैं, कंटेंट और ब्लैकमेलिंग का मामला एक ही दर्ज हुआ है। एफआईआर और जांच बेहद सीमित होने के कारणों की पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि साइबर थाने खुल तो गए हैं, लेकिन इनका साइबर क्राइम पर फोकस कम लेकिन इलाके की अन्य वारदातों के इन्वेस्टिगेशन पर ज्यादा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने साइबर क्राइम के खतरे को भांपकर 10 साल पहले ही रायपुर में अलग प्रदेशस्तरीय साइबर थाना खोला था।

इसके बाद इस साल रायपुर के साथ-साथ बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा में रेंज स्तर का एक-एक साइबर थाना खोला गया। इनका उद्देश्य वीडियो कॉल से ब्लैकमेलिंग, फेक वीडियो कंटेंट, सोशल मीडिया में फोटो-वीडियो टेंपरिंग जैसे साइबर क्राइम और ऑनलाइन ठगी की जांच करना है। शासन की सोच तो अच्छी थी, लेकिन इस मामले में बड़ी कामयाबी हासिल करना तो दूर, एफआईआर करने में भी पुलिस ने कंजूसी दिखाई है। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि रायपुर के राज्यस्तरीय साइबर थाने में पिछले एक साल में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। केवल बिलासपुर में 3 तथा रायपुर-सरगुजा रेंज थानों में एक-एक एफआईआर ही हुई है, यानी कुल 5। दुर्ग और बस्तर रेंज थानों में एक भी एफआईआर नहीं है, जबकि साइबर ठगी और ब्लैकमेलिंग की शिकायतें रोजाना आ रही हैं।

हर रेंज थानों में सैकड़ों शिकायतें, लेकिन केस दर्ज नहीं

पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ रायपुर जिले में ही एक साल में 4 हजार से ज्यादा साइबर क्राइम और ठगी की शिकायतें मिली हैं। इनमें 105 केस दर्ज हुए, लेकिन सामान्य थानों में। बाकी मामले जांच में हैं। इसी तरह दुर्ग, बिलासपुर समेत अन्य रेंज में हर साल 7-7 हजार से ज्यादा शिकायतें हैं, पर साइबर थाने में एफआईआर नहीं है। रेंज साइबर थाना खुलने के बाद लोग शिकायत करने आ रहे है। उनकी शिकायतें भी सुनी जा रही है, लेकिन उसकी जांच साइबर सेल में हो रही है। एफआईआर के लिए इलाके के नजदीक के थानों में भेजा जा रहा है। जबकि हर साइबर थाने में 10 से ज्यादा स्टाफ दिया गया है। रायपुर में 13, बिलासपुर-दुर्ग में 10 और सरगुजा व बस्तर में 8 से ज्यादा स्टाफ है। लेकिन यह बात अलग है कि जिन्हें प्रभारी बनाया गया है, उनका मूल चार्ज दूसरा है।

साइबर के नाम से क्राइम ब्रांच

राज्य के पांच पुलिस रेंज रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, सरगुजा और बस्तर पांचों जगह की मॉनिटरिंग और सुपरविजन रेंज आईजी को करना है। रेंज के जिलों में होने वाली साइबर क्राइम और ठगी की घटनाओं में आईजी की जिम्मेदारी है कि वे इन वारदातों को जांच के लिए साइबर थानों में ही भेजेंगे। लेकिन किसी भी रेंज में ऐसा नहीं हो रहा है। दरअसल साइबर थाने का अलग स्टाफ किसी भी रेंज में नहीं है। यहां क्राइम ब्रांच का स्टॉफ ही साइबर थाने का काम देख रहा है।

अलग से नहीं की गई पोस्टिंग

चुनाव के पहले 10 अगस्त को पांचों रेंज में साइबर थाना शुरू किए गए। शुरुआत में पुलिस मुख्यालय से इंस्पेक्टर (थाना प्रभारी) से लेकर स्टाफ की नियुक्ति करने का फैसला किया था। फिर बाद में यह काम एसपी को दे दिया गया। तकरीबन सभी जगह एसपी ने क्राइम ब्रांच की तरह काम कर रहे साइबर सेल के अफसर-कर्मियों को इन थानों में पोस्ट कर दिया। इस तरह, साइबर क्राइम पर केंद्रित होने के बजाय ये थाने हर तरह के अपराध में केंद्रित हैं। उनकी जिले के लॉ एंड ऑर्डर और वीआईपी मूवमेंट पर भी ड्यूटी लग रही है।

संभालकर रखें कंटेंट

सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले अपने अकाउंट के हर कंटेंट को संभालकर रखें। डीपफेक कंटेंट की शिकायत हुई तो इसी कंटेंट से उसे मिला सकते हैं, ताकि अकाउंट होल्डर भी सुरक्षित रहे। -लखन पटले, एएसपी-सिटी रायपुर

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