छत्तीसगढ़ की शराब की बोतल पर जो स्टीकर लगेगा वो भारत सरकार छापेगी। होलोग्राम की प्रिंटिंग का काम अब प्राइवेट एजेंसी को दिया जाता रहा है। ये पहली बार है जब केंद्र सरकार की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से जुड़ी संस्था इसकी प्रिंटिंग करेगी। ये वो सरकारी एजेंसी है जो नोट भी छापती है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने तय किया है कि होलोग्राम प्रिंटिंग का काम नासिक रोड में स्थित भारत सरकार के उपक्रम भारत प्रतिभूति मुद्रणालय में होगा। वहां से छत्तीसगढ़ की सरकार होलोग्राम खरीदेगी। इसके बाद ये प्रदेश में बिकने वाली शराब की बोतलों पर लगेगा।
अक्टूबर अंत तक छपाई का काम छत्तीसगढ़ की ओर से भारत सरकार की इस करेंसी प्रिटिंग यूनिट को दे दिया जाएगा। इस फैसले का एनालिसिस दैनिक भास्कर के लिए छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड IAS पूर्व आबकारी कमिश्नर गणेश शंकर मिश्रा ने किया और बताया कि इससे फर्क क्या पड़ेगा।
क्या होगा इस फैसले का असर गणेश शंकर मिश्रा कहते हैं- मेरी जानकारी में संभवत: ये पहली बार होगा कि जब भारत सरकार की करेंसी प्रिंटिंग यूनिट छत्तीसगढ़ के लिए शराब के होलोग्राम बनाएगी। इसका असर ये होगा कि होलोग्राम प्रिंटिंग का काम जो अब तक प्राइवेट एजेंसी को दिया जाता था पूरी तरह से बंद हो जाएगा।
मिश्रा ने आगे कहा- जब प्रदेश में प्राइवेट कंपनियों से प्रिंटिंग होती थी। तो इसका रिस्क रहता था कि फेक प्रिंटिंग हो सकती है। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ शराब घोटाला इसी वजह से जन्मा। ED और EOW ने अदालतों में यही कहा कि नकली होलोग्राम प्रिंट किए गए और मनमाने तरीके से काली कमाई की गई। अब इसपर रोक लगाने में मदद मिलेगी
होलोग्राम का इतना महत्व क्यों है
ये सीधे राजस्व यानी सरकार की कमाई से जुड़ा होता है। रिटायर्ड आबकारी आयुक्त गणेश शंकर मिश्रा ने बताया होलोग्राम के जरिए सरकार को राजस्व मिलता है। इसका रिकॉर्ड रखा जाता है। अगर किसी बोतल पर ये लगा हुआ है चाहे वो विदेशी शराब हो या देशी, तो इसका अर्थ है कि उस बोतल पर जो भी एक्साइज ड्यूटी है वो दी जा चुकी है।
अब अगर ये होलोग्राम ही नकली हो बस किसी ने यूं ही छापकर लगा दिया तो सरकार को बोतल पर मिलने वाला राजस्व किसी सिंडिकेट या घोटालेबाज के पास जाएगा।
तो अब नकली होलोग्राम नहीं बन पाएगा?
इसकी संभावना को सरकार के इस फैसले ने कम कर दिया है। रिटायर्ड आबकारी आयुक्त गणेश शंकर मिश्रा ने बताया अब तक ये काम प्राइवेट एजेंसी कर रही थी। पिछली सरकार में जो गड़बड़ी सामने आई उसमें ये हुआ कि फर्जी नंबर डालकर होलोग्राम प्रिंट कर दिए गए। सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। अब चूंकि केंद्र सरकार की एजेंसी इसे प्रिंट करेगी तो प्रिंटिंग के स्तर में गड़बड़ी नहीं होगी।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक नासिक में भारत सरकार के जिस प्रिटिंग प्रेस में नोट छापे जाते हैं, वहां 3D स्टीकर्स बनते हैं वो कॉपी करना पाना मुमकिन नहीं हैं। इसके बाद भी अगर होलोग्राम बना लिए गए तो आबकारी विभाग की एक अलग विंग है जो इसकी बराबर जांच करती है। लैब टेस्ट के जरिए असली और नकली होलोग्राम का पता चल जाता है।
छोटे से होलोग्राम से हजारों करोड़ की कमाई कैसे
आबकारी घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने प्रिज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी कंपनी के छत्तीसगढ़ हेड दिलीप पांडे को अरेस्ट किया है। ये कंपनी होलोग्राम छापा करती थी। वो भी नवा रायपुर के GST भवन की बिल्डिंग में जांच में EOW ने पाया कि हर होलोग्राम का सीरियल नंबर और कोड होता है। यह आबकारी अधिकारियों की अनुमति से छापा जाता है।
लेकिन पिछली सरकार में सरकारी दुकानों से ही अवैध शराब की बिक्री की जाती थी। नकली (डुप्लीकेट) होलोग्राम छापकर सीधे डिस्टलरी में भेजा जाता था। जहां शराब की बोतल में अवैध होलोग्राम लगाया जाता था। फिर उसे गोदाम की जगह सीधे दुकानों में सप्लाई करते थे।
दुकान से नकली होलोग्राम वाली शराब बेची जाती थी। इसका पैसा सिंडिकेट को जाता था। सिंडिकेट ने 2019 से 2023 तक नकली होलोग्राम से 40 लाख पेटी से ज्यादा शराब बेची, इससे 1 हजार 660 करोड़ 41 लाख 56 रुपए की कमाई की ।
इस होलोग्राम ने पहुंचाया VVIPs को जेल
छत्तीसगढ़ में नकली होलोग्राम मालमें में प्रिज्म कंपनी के मैनेजर दिलीप पांडे, कर्मचारी अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह और दीपक दुआरी को EOW ने गिरफ्तार किया गया है। ये सभी नकली होलोग्राम के कारोबार से जुड़े हुए हैं। सभी रायपुर जेल में बंद हैं। इसी से जुड़े शराब घोटाले मामले में रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढ़ेबर, अरविंद सिंह , आबकारी विभाग का पूर्व अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन रायपुर की जेल में बंद है।
ढेबर के प्लॉट से मिला था नकली होलोग्राम का जखीरा
EOW की टीम ने शराब घोटाले के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर के धनेली स्थित जमीन से डूप्लीकेट होलोग्राम के कई रोल अधजले हालत में जब्त किए थे। साल 2019 से 2022 तक सरकारी दुकानों से अवैध शराब डूप्लीकेट होलोग्राम लगाकर अनवर ढेबर और उसके सिंडिकेट द्वारा अवैध रूप से बेचकर शासन को करोड़ों की आर्थिक नुकसान पहुंचाया था।
धनेली स्थित जमीन पर अनवर ढेबर, अरविंद सिंह और सिंडिकेट के अन्य व्यक्तियों द्वारा फर्जी होलोग्राम को नोएडा से लाकर रखा जाता था।