(UGC):- ग्रेजुएशन 2025-26 एकेडमिक ईयर से ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने के लिए एक नए फ्लेक्सिबल अप्रोच पर काम कर रहा है। इसके तहत ग्रेजुएशन डिग्री जो 3 से 4 साल में होती है, उसे स्टूडेंट्स कमकर दो से ढाई साल में कर सकेंगे।
यह जानकारी UGC चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने आईआईटी मद्रास के एक प्रोग्राम में गुरुवार को दी। IIT मद्रास के डायरेक्टर वी कामाकोटी ने इस पॉलिसी का सुझाव दिया था। इस पर UGC लंबे समय से काम रहा है।
सवाल: किन स्टूडेंट्स को फायदा मिलेगा?
जवाब: किसी भी विषय से ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को।
सवाल: क्या ऑप्शन मिलेंगे जवाब: ग्रेजुएशन डिग्री जो 3 से 4 साल की होती है, उसे घटाकर दो से ढाई साल की जा सकती है। वहीं, पढ़ाई में कमजोर स्टूडेंट्स अपने ग्रेजुएशन प्रोग्राम का समय बढ़ाकर 5 साल तक कर सकते हैं।
सवाल: UGC इस पैटर्न पर क्यों विचार कर रहा है? जवाब: चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने बताया कि UGC चाहता है कि हायर एजुकेशन सिस्टम को आसान बनाया जा सके। इससे ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन से जुड़ेंगे।
सवाल: इसे कब से लागू किया जाएगा? जवाब: अभी कुछ भी तय नहीं है। हालांकि एकेडमिक ईयर 2025-26 से इसे लागू करने की योजना प्रस्तावित है।
सवाल: स्टूडेंट्स इन ऑप्शन को कैसे चुन पाएंगे जवाब: UGC ने अभी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है, लेकिन कहा है कि टैलेंटेड स्टूडेंट्स अगर 2 साल में क्रेडिट स्कोर पूरा कर लेते हैं, तो उन्हें डिग्री के लिए 3 या 5 साल इंतजार नहीं करना होगा।
डिग्री के बीच ब्रेक भी ले सकते हैं स्टूडेंट्स इससे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत UGC डिग्री के बीच में ब्रेक लेने का ऑप्शन भी स्टूडेंट्स के लिए ला चुका है। अगर कोई स्टूडेंट चाहे तो वह कोर्स से ब्रेक ले सकता है और बाद में वापस आकर इसे पूरा कर सकता है। इसे लेकर UGC चेयरमैन ने कहा कि हमारा काम स्टूडेंट्स को क्रिटिकल थिंकर बनाना है। हम उन्हें ऐसा बनाना चाहते है जिससे वो देश के विकास में मदद कर सकें।
उन्होंने आगे कहा कि UGC ने पहले ही कई एंट्रेंस और एग्जिट ऑप्शन दिए हैं, ताकि कमजोर स्टूडेंट्स ब्रेक ले सकें और अपनी पसंद के अनुसार सिलेबस पूरा कर सकें। हमारा उद्देश्य स्टूडेंट्स को ज्यादा फ्लेक्सिबल बनाएगा और ज्यादा मौके देगा।
इसके साथ ही जगदीश कुमार ने कहा कि 12-13 नवंबर को दिल्ली में हायर एजुकेशन की बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने NEP 2020 की प्रोग्रेस को रिव्यू किया है और इसे लागू करने की बात कही है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों ने शिक्षा नीति का विरोध किया। इन राज्यों ने चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम शुरू किए। तमिलनाडु ने NEP को नहीं अपनाया था और इसके बजाय राज्य शिक्षा नीति का फॉर्मेट तैयार किया था। ऐसे में यह एक अच्छी शुरुआत होगी।