यूक्रेन युद्ध में रूसी सैनिकों की मदद के लिए उत्तर कोरिया द्वारा हजारों सैनिक उतारे जाने के बाद अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने चीन से मॉस्को और प्योंगयांग पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की अपील की है ताकि तनाव को बढ़ने से रोका जा सके।
हालांकि, चीन ने अमेरिका के इस आह्वान और इस घटनाक्रम पर अभी तक चुप्पी साध रखी है।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में तीन शीर्ष अमेरिकी राजनयिकों ने अमेरिका में चीन के राजदूत के साथ मुलाकात की जिसमें अमेरिकी चिंताओं पर जोर दिया गया और चीन से आग्रह किया गया कि वह उत्तर कोरिया और रूस के सहयोग को कम करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बृहस्पतिवार को कहा कि दोनों पक्षों के बीच ‘इस सप्ताह ठोस बातचीत हुई’ और चीन अमेरिका की इन अपेक्षाओं से अवगत है कि वे इन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेंगे।
ब्लिंकन ने वाशिंगटन में रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्षों के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘लेकिन मुझे लगता है कि यह मांग न केवल हमारी, बल्कि दुनिया भर के अन्य देशों की भी है।’’
वाशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक बयान में कहा कि यूक्रेन संकट पर चीन की स्थिति ‘‘तर्कयुक्त और स्पष्ट’’ है। लियू ने कहा, ‘‘चीन यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान और शांति वार्ता के लिए प्रयासरत है। यह रुख लगातार बना हुआ है। चीन इस दिशा में रचनात्मक भूमिका निभाता रहेगा।’’
दूसरी तरफ, अमेरिका का कहना है कि 8,000 उत्तर कोरियाई सैनिक यूक्रेन की सीमा के पास रूस में हैं और आगामी दिनों में यूक्रेनी सैनिकों के खिलाफ क्रेमलिन की लड़ाई में मदद करने की तैयारी कर रहे हैं। चीन ने इस कदम पर अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। चीन ने रूस के साथ ‘असीमित’ साझेदारी स्थापित की है और वह उत्तर कोरिया का एक प्रमुख सहयोगी भी रहा है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बीजिंग रूस और उत्तर कोरिया के बीच घनिष्ठ सैन्य साझेदारी को शायद स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि वह इसे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने वाला मानता है।