महाकुंभ 2025: अखाड़ों के नगर प्रवेश की परंपरा और इसका पौराणिक महत्व
प्रयागराज के संगम क्षेत्र पर 12 वर्षों बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ में देशभर से साधु-संत, सन्यासी और लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने जुटेंगे। महाकुंभ की इस महिमा के साथ, भारत के प्रमुख 13 अखाड़े एक-एक करके नगर में प्रवेश करते हैं। यह नगर प्रवेश एक गौरवशाली परंपरा है, जिसमें साधु-संत शस्त्र-शास्त्र के प्रदर्शन से अपनी शक्ति और पवित्रता का संदेश देते हैं।
जूना अखाड़े के योगानंद गिरी महाराज के अनुसार, नगर प्रवेश न केवल एक धार्मिक यात्रा है बल्कि सनातन संस्कृति की रक्षा और गौरव को सम्मानित करने का अवसर भी है। इस परंपरा में साधु-संत, नागा संन्यासी अपने दल-बल के साथ शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए नगर में प्रवेश करते हैं, जो प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा का प्रतीक है। इसका उद्देश्य सनातन संस्कृति की रक्षा का संदेश देना है।
इस बार किन्नर अखाड़ा भी इस नगर प्रवेश का हिस्सा है। किन्नर अखाड़े की भागीदारी यह दर्शाती है कि भारतीय संस्कृति की विविधता और अखाड़ों का संगम समय के साथ और भी मजबूत हो रहा है।