रायपुर रैगिंग केस में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें आरोप है कि छात्रों को बंद कमरे में बुलाकर कपड़े उतरवाए गए, थप्पड़ मारे गए, और उन्हें अत्यधिक शर्मनाक स्थितियों का सामना करना पड़ा। आरोपियों ने पीड़ितों को कथित रूप से पानी की बोतल पर बैठने के लिए मजबूर किया

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रायपुर के पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में सीनियर्स ने 50 स्टूडेंट्स को इंट्रो देने के नाम पर जूनियर छात्रों को बंद कमरे में बुलाया। उनके कपड़े उतरवाकर बोतल पर बैठाया। उनके सिर मुंडवाए। बैचमेट लड़कियों की फोटो भी मांगी। लड़कियों को चोटी और लड़कों को तेल लगाकर आने के निर्देश थे। जूनियर्स अभी भी दहशत में हैं।

मामले में 9 सदस्यीय एंटी रैगिंग कमेटी ने करीब 50 स्टूडेंट्स से रैगिंग केस में 6 सीनियर्स को सस्पेंड किया है। वहीं IMA रायपुर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने जांच कमेटी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पहली लिस्ट में जिस सीनियर का नाम था, उसका नाम रैगिंग लिस्ट से क्यों हटाया गया है। 

छात्रों इस तरह से बाल कटवाकर मेडिकल कॉलेज कैंपस में घूम रहे है।

हॉस्टल से शुरू हुआ था रैगिंग का खेल

रैगिंग की प्रताड़ना झेल रहे जूनियर्स ने सीनियर्स के प्रकोप से बचने के लिए 2 नवंबर को मेल किया था। मेल में जूनियर छात्र ने अपना नाम लिखे बगैर संस्था के सदस्यों को बताया, कि कॉलेज और विशेष रूप से हॉस्टल में रैगिंग शुरू हुई थी।

शिकायत में लिखा कि छात्रों को जबरन सिर मुंडवाने, क्लीन शेव रहने और प्रतिदिन एक तय ड्रेस पहनने कहा गया था। इस वेशभूषा में मोनोक्रोम शर्ट, एक ही रंग की पैंट, स्कूली जूते और ऑफिस स्टाइल का बैग शामिल है। ये सब सीनियर्स इसलिए कर रहे हैं, ताकि हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचे।

आगे लिखा कि इस अपमानजनक ड्रेस कोड के कारण हम हर दिन सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। हॉस्टल में सीनियर छात्रों ने हमारे बैच के लड़कों को थप्पड़ मारे हैं। शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।

पीड़ित छात्रों ने ये लेटर लिखा था संस्थान को।

कैंपस में पहले की तरह अकेले नहीं घूम सकते

MBBS फर्स्ट ईयर में एडमिशन लेने वाले छात्र सूरज (परिवर्तित) ने बताया, कि रैगिंग होने के बाद वो परेशान थे, लेकिन विवाद सार्वजनिक होने के बाद वे लगातार सीनियर्स के टारगेट में हैं। सूरज का कहना है, कि अब कैंपस में पहले की तरह अकेले नहीं घूम सकते।

सीनियर्स जहां दिखते हैं, तो वो रास्ता बदल लेते हैं या 3-4 लोग एक साथ जाते हैं, ताकि सीनियर्स के गुस्से का शिकार होने पर मामला संभल सके। मामले में प्रबंधन ने दोबारा घटना होने पर तत्काल सूचना देने के निर्देश दिए हैं, लेकिन जो सीनियर छात्र कमेटी के जांच के दायरे में नहीं आए हैं, वे उन्हें लगातार डरा रहे हैं।

सोशल मीडिया से लेकर कैंपस तक टारगेट में जूनियर

छात्रों ने । इस क्लीपिंग में सीनियर ने जूनियर को लड़की की फोटो अपने नाम से मांगने के लिए बोला है और गालियां भी दी हैं।

छात्रों से रैगिंग मामले में सीनियर्स छात्र की तरफ से सोशल मीडिया से लेकर कैंपस में लगातार धमकी दी जा रही है। धमकी देने वालों में लड़कों के अलावा लड़कियां भी शामिल हैं। हालांकि जूनियर छात्रों ने रैगिंग मामले में मीडिया से दूरी बना ली है।

कैंपस में रहने वाले जूनियर डरकर रह रहे

सोसाइटी अगेंस्ट वाइलेंस इन एजुकेशन संस्थान के सदस्यों ने चर्चा के दौरान कहा, कि सीनियर छात्रों ने इंट्रो देने के नाम पर बुलाया था। प्रबंधन के एक्शन लिए जाने के बाद भी कैंपस में रहने वाले जूनियर डरकर रह रहे हैं। जूनियर्स छात्रों ने शिकायत सोसाइटी अगेंस्ट वाइलेंस इन एजुकेशन के सदस्यों से की थी

सीनियर्स पर प्रताड़ित करने और मारपीट करने का आरोप

सोसाइटी अगेंस्ट वाइलेंस इन एजुकेशन संस्थान की कानूनी सलाहकार सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता मीरा कौर पटेल ने  से चर्चा के दौरान कहा, कि जूनियर छात्रों ने शिकायत में सीनियर्स पर अलग-अलग प्रताड़ित करने और मारपीट करने का आरोप लगाया है।

मीरा कौर ने कहा कि दिल्ली के एक कॉलेज में इसी तरह रैगिंग होने पर प्रबंधन ने छात्रों के खिलाफ FIR नहीं कराई, तो बाद में कोर्ट में पिटीशन लगने के बाद कॉलेज प्रबंधन पर FIR का निर्देश जारी हुआ था। ऐसे मामले में प्रबंधन को 24 घंटे के अंदर FIR कराना चाहिए।

कार्रवाई को लेकर IMA अध्यक्ष ने उठाए सवाल

मामले में IMA रायपुर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि जूनियर्स छात्राओं की फोटो मांगने और छात्रों के सिर मुंडवाने के आरोप में पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की एंटी रैगिंग कमेटी ने दो बार जांच की और कार्रवाई की है।

उन्होंने कहा कि कमेटी ने पहली जांच रिपोर्ट और कार्रवाई का निर्देश 4 नवंबर को सार्वजनिक किया था। इस रिपोर्ट में 2023 बैच के सेकेंड सेमेस्टर के छात्र दीपराज वर्मा और अंशू जोशी को दोषी माना गया। इन दोनों छात्रों को 10 दिन के लिए सस्पेंड किया गया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि कमेटी ने दूसरी रिपोर्ट और कार्रवाई का निर्देश 11 नवंबर को सार्वजनिक किया।

उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में कमेटी के सदस्यों ने अंशू जोशी, अक्षत जायसवाल, विकास टंडन, गौरव चंद्र, आयुष गुप्ता को रैगिंग प्रकरण में दोषी माना। अगर वह प्रकरण में शामिल नहीं थे, तो पहली जांच में उसका नाम क्यों डाला गया।

मामले में बयान देने से बच रहे सदस्य

इस पूरे प्रकरण में कमेटी के चेयरपर्सन और सदस्यों से दैनिक भास्कर ने बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन बयान देने से सभी ने मना कर दिया।

एचओडी को जारी किया निर्देश

रैगिंग का मामला हाईप्रोफाइल होने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने सभी विभागों के एचओडी को निर्देश जारी किया है। निर्देश में कहा गया है, कि जो भी व्यक्ति मीडिया को रैगिंग प्रकरण संबंधित जानकारियां उपलब्ध करवा रहा है, उसका पता लगाया जाए।

महाविद्यालय में हो रही गतिविधियों की जानकारी मीडिया में ना छपे, इसलिए कैंपस में पहुंच रहे हर अनजान व्यक्ति से पूछताछ भी की जा रही है।

मेडिकल कॉलेज के प्रताड़ित छात्र जिनके साथ सीनियर्स ने घटनाक्रम किया।

छत्तीसगढ़ के कॉलेजों में रैगिंग रोकने 2001 में बना था नियम

राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार किसी भी शैक्षणिक संस्थान में किसी छात्र या छात्रा द्वारा किसी दूसरे छात्र या छात्रा को शारीरिक अथवा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाना रैगिंग कहलाता है।

छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से इस संबंध में दिनांक 17-01-2002 को एक अधिनियम छ.ग. शैक्षणिक संस्थाओं में प्रताड़ना (रैगिंग) का प्रतिषेध अधिनियम, 2001 पारित किया गया था। रैगिंग होने पर धारा 2(क) के तहत कार्रवाई के लिए नियम बनाया गया है।

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