अक्टूबर में झारखंड विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले राज्य सरकार ने लगभग 50 लाख महिलाओं के मासिक भत्ते को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये कर दिया, जबकि बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 2,100 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पार्टियां चुनाव के समय महिला मतदाताओं को आर्थिक लाभ देकर उन्हें आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं, ताकि महंगाई और बेरोजगारी की चिंताओं को कम किया जा सके।
पिछले कुछ वर्षों में भारत में महिलाओं के मतदान का प्रतिशत बढ़ा है, जिससे उनका राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ा है। महंगाई दर अक्टूबर में 14 महीने के उच्चतम स्तर पर है और बेरोजगारी दर 8.9% तक पहुंच चुकी है, ऐसे में महिला मतदाताओं को लुभाने की होड़ बढ़ गई है। एक्सिस बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश पार्टियां महिलाओं को आर्थिक लाभ देने के लिए कई योजनाएं शुरू कर रही हैं, जिनमें नकद सहायता शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी की बीजेपी और अन्य विपक्षी पार्टियां भारत की 67 करोड़ महिलाओं में से एक बड़े हिस्से को आकर्षित करने के लिए योजनाएं पेश कर रही हैं।
इस प्रकार की योजनाओं के तहत लगभग एक-तिहाई राज्यों ने अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा महिला मतदाताओं पर खर्च करना शुरू किया है, जो देश की जीडीपी का 0.6% है।