धर्म परिवर्तन का दर्द: श्याम बाई ने बेटे की मौत के बाद तोड़ा छलावे का जाल….!

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के शिवपारा पुलगांव की 75 वर्षीय श्याम बाई यादव के जीवन में एक बड़ी उलटफेर तब आई जब उन्हें घर का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया गया। ईसाई मिशनरियों के कहने पर श्याम बाई ने अपना धर्म छोड़ा, लेकिन इसके बाद उनके जीवन में कई अनहोनी घटनाएं घटीं, जिसने उन्हें पछतावा महसूस कराया। अपने पुराने धर्म की ओर लौटने का निर्णय लेने के बाद उन्होंने अपनी बहू और पादरी पर कानूनी कार्रवाई करने का कदम उठाया।

शुरुआत में श्याम बाई अपने बेटे गौकरण, बहू गीता और पोतियों के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहती थीं। घर की आर्थिक स्थिति खराब थी क्योंकि उनके बेटे को शराब की लत थी। इस दौरान उनकी बहू गीता ने उन्हें कोहका के पादरी से मिलवाया, जिन्होंने श्याम बाई को ईसाई धर्म अपनाने का लालच दिया। पादरी ने उन्हें बड़ा घर और बेहतर जीवन का वादा किया, जिससे वे प्रलोभित हो गईं और प्रार्थना सभाओं में जाना शुरू कर दिया। उनके घर से मंदिर का सामान भी हटा दिया गया।

लेकिन तीन साल पहले बेटे की अचानक मौत और श्याम बाई के खुद लकवाग्रस्त होने के बाद उनकी स्थिति और खराब हो गई। इन घटनाओं ने उन्हें धर्म परिवर्तन पर पछताने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने महसूस किया कि उनके जीवन में बढ़ी हुई परेशानियां धर्मांतरण के बाद आईं। इस सोच ने उन्हें अपने पुराने धर्म में वापस लौटने की प्रेरणा दी। अब श्याम बाई ने चर्च जाना बंद कर दिया और अपने घर में प्रार्थना सभाओं को रोक दिया।

उन्होंने अपनी बहू और पादरी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और इस मामले में कार्रवाई करने का निर्णय लिया। अब श्याम बाई ने संकल्प लिया है कि वे फिर से अपने देवता की पूजा करेंगी और पादरी द्वारा दी गई वस्तुएं भी वापस करेंगी।

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