शुक्रवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वाराणसी में विश्व के सबसे बड़े और भव्य ‘नमो घाट’ का उद्घाटन किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने काशी को भारत की सनातन संस्कृति का केंद्र बताया और कहा कि यह भूमि सदियों से सबको अपनाने और समाहित करने का प्रतीक रही है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ने हमेशा एकता और दृढ़ता की प्रेरणा दी है, जो भारत की सांस्कृतिक पहचान का आधार है।
धनखड़ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक तपस्वी नेता बताया, जो उत्तर प्रदेश को विकास और उद्यमशीलता में शीर्ष स्थान पर ले जाने के लिए समर्पित हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और उनकी दूरदृष्टि की भी सराहना की, जिनकी प्रेरणा से यह परियोजना संभव हो सकी है।
उद्घाटन को उन्होंने अपने लिए एक सम्मानजनक और विशेष क्षण बताया। इस दिन का महत्व बढ़ाते हुए उपराष्ट्रपति ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व और भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का उल्लेख कर उनकी विरासत को नमन किया।
उपाध्यक्ष ने भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और इसे प्राप्त करने में हर नागरिक के योगदान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक जड़ों को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी सभी भारतीयों पर डाली और स्वदेशी भावना को प्रोत्साहित किया, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कार्यक्रम के समापन पर उन्होंने देव दीपावली की परंपरा को समाज की एकजुटता का प्रतीक बताते हुए इसे बदलते भारत की प्रगति का उदाहरण बताया। नमो घाट के उद्घाटन को काशी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का एक और गौरवशाली क्षण करार दिया।