छत्तीसगढ़ के बस्तर में इंद्रावती नदी पार बसे अबूझमाड़ के ग्रामीणों ने बिजली के खंबे और लकड़ी से नदी पर जुगाड़ का पुल बना दिया है। नक्सल दहशत की वजह से गांव वाले खुलकर पुल की मांग नहीं कर पा रहे हैं। अब इसी के माध्यम से ग्रामीण आना-जाना कर रहे हैं। साथ ही उस इलाके के सैकड़ों किसान धान बेचने भी अब इसी अस्थाई पुल के माध्यम से खरीदी केंद्र तक पहुंचेंगे।
दरअसल, इंद्रावती नदी के पार दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले की सरहद पर मंगनार गांव बसा हुआ है। इस मंगनार गांव से तुलार गुफा जाने वाले मार्ग पर गुडरा नदी स्थित है। इस नदी में कोई पुल नहीं है। बारिश के दिनों में यह नदी काफी उफान पर होती है। जिससे उस इलाके के दर्जनों गांवों का संपर्क टूट जाता है।
वहीं अब नदी का जल स्तर कम है। जिसके बाद इलाके के ग्रामीणों ने खराब पड़े बिजली के पोल और लकड़ी के माध्यम से पुल बना दिया है। सबसे पहले बांस का पिलर बनाया गया। उसमें पत्थर भरे गए। जिसके बाद पिलरों के ऊपर पोल और लकड़ी को रखकर पुलिया का निर्माण किया गया है। अब ग्रामीण इसी के माध्यम से आना-जाना कर रहे हैं।
प्रशासन की दस्तक बेहद कम गांव वालों का कहना है कि इस इलाके में प्रशासन की दस्तक बेहद कम है। ऐसे में हमारी समस्या उनतक नहीं पहुंच पाती है। जब कोई बीमार पड़ता है तो भी नदी पार करवाने काफी तकलीफ होती है। पहले नाला को पार कर बड़ी मुश्किल से धान लेकर जाते थे, अब धान खरीदी केंद्र तक इसी पुल को पार कर धान लेकर जाएंगे।
नक्सलियों का है गढ़ दरअसल, इंद्रावती नदी पार का इलाका नक्सलियों का गढ़ है। उस इलाके में नक्सलियों की दस्तक हमेशा रहती है। नक्सली पुल-पुलिया बनाने नहीं देते हैं। यदि कोई ग्रामीण खुलकर पुल की मांग कर भी ले तो उसकी सजा सिर्फ मौत होती है।