छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था पर सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेशभर की यातायात स्थिति की जांच के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने अधिवक्ता प्रांजल अग्रवाल और रविंद्र शर्मा को कोर्ट कमिश्नर बनाकर 28 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश जवाब पर गहरी नाराजगी जताते हुए खराब ट्रैफिक सिस्टम, आवारा मवेशियों की समस्या और पार्किंग अव्यवस्था जैसे मुद्दों पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता बताई।
सड़क हादसों का बढ़ता खतरा:
ट्रैफिक अव्यवस्था के कारण लगातार सड़क दुर्घटनाओं की घटनाएं बढ़ रही हैं। बिलासपुर के नेहरू चौक में ट्रैफिक सिग्नल के कारण एंबुलेंस पलटने की घटना के बाद हाईकोर्ट ने इसे जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की थी। रिपोर्ट में बताया गया कि सड़कों पर आवारा मवेशी और भारी वाहनों के कारण हादसे हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने इन्हें हटाने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई।
अस्पतालों में पार्किंग की समस्या:
निजी अस्पतालों में पार्किंग व्यवस्था की कमी के कारण मरीजों और उनके परिजनों के वाहन सड़कों पर खड़े रहते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।
स्थानीय प्रशासन की विफलता:
फुटपाथ पर अवैध कब्जे, सड़कों पर बेतरतीब खड़े वाहन और आवारा मवेशियों के वापस लौटने जैसी समस्याओं को लेकर स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को हादसों का बड़ा कारण बताया गया है।
हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट कमिश्नरों को प्रदेशभर का दौरा कर रिपोर्ट तैयार करने और सुधार के सुझाव देने का निर्देश दिया है।