महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री को लेकर महायुति में मंथन जारी, फडणवीस और शिंदे में टकराव क्यों?
महाराष्ट्र में महायुति ने बंपर जीत हासिल की, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा अब तक तय नहीं हो सका है। बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित पवार गुट) के बीच सत्ता-साझेदारी को लेकर गहन चर्चा जारी है। बीजेपी ने संकेत दिए हैं कि इस बार सीएम पद बीजेपी के खाते में जाएगा, लेकिन शिवसेना (शिंदे गुट) को संतुष्ट करना भी उसकी प्राथमिकता है।
बीजेपी की रणनीति और जातीय समीकरण
देवेंद्र फडणवीस, जो बीजेपी के सबसे मजबूत चेहरा हैं, सीएम पद के प्रबल दावेदार हैं। लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा समुदाय की अहमियत और एकनाथ शिंदे के मजबूत मराठा चेहरे होने के कारण उन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल है। शिंदे गुट के नेताओं का तर्क है कि यह चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया था, इसलिए उनकी भूमिका कम करना उचित नहीं होगा।
एनसीपी और शिंदे गुट की भूमिका
एनसीपी ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह फडणवीस को प्राथमिकता देती है। वहीं, शिंदे गुट को साधने के लिए उन्हें डिप्टी सीएम पद या केंद्र में अहम मंत्रालय का प्रस्ताव दिया जा सकता है।
चुनौतीपूर्ण संतुलन
बीजेपी को मराठा बनाम ओबीसी समीकरण और 2022 के शिंदे-फडणवीस समझौते का संतुलन बनाए रखना होगा। साथ ही, 2025 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए किसी भी विवाद से बचने की कोशिश की जा रही है।
फैसले पर अटका क्यों है मामला?
मुख्यमंत्री पद के चयन में सहयोगी दलों को भरोसे में लेना, जातीय समीकरण, और नेशनल लेवल पर संदेश जैसे मुद्दे बीजेपी के सामने चुनौती बने हुए हैं।
जल्द ही बीजेपी हाईकमान से इस पर अंतिम निर्णय की उम्मीद है, लेकिन यह तय है कि महाराष्ट्र का नेतृत्व करने वाला चेहरा बीजेपी से होगा।