सीएम विष्णुदेव साय बोले: सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षक हैं जनजातीय समाज, कुप्रथाओं के सशक्त विरोधी…!

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गुरुवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित जनजातीय अस्मिता, अस्तित्व और विकास पर संगोष्ठी में कहा कि जनजातीय समाज का इतिहास मानवता के पहले कदमों से जुड़ा हुआ है और उनकी संस्कृति भगवान श्रीराम से गहरे संबंध रखती है। उन्होंने बताया कि भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में वनवास के दौरान माता शबरी के जूठे बेर खाए, जो जनजातीय समाज की अस्मिता से जुड़ा अहम प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने जनजातीय समाज की परंपराओं, संस्कृति, रीति-रिवाज, तीज-त्यौहार और जनजातीय उत्थान के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि जनजातीय समाज सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है और कुप्रथाओं का विरोध करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए पीएम जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं, जो इन समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास और प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजनाओं से जनजातीय समुदायों को व्यापक लाभ मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, बस्तर में शांति स्थापना के लिए कई कदम उठाए गए हैं और नए सुरक्षाबल कैंप खोले गए हैं। मुख्यमंत्री ने पद्मश्री से सम्मानित छत्तीसगढ़ी विभूतियों को अब 10,000 रुपये प्रति माह की सम्मान राशि देने की घोषणा की और साथ ही साहित्य परिषद से छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अलग होने की जानकारी दी।

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