नक्सलियों की एकमात्र मिलिट्री बटालियन का हो रहा है पतन: क्या देव के स्थान पर केशा या लच्छू बनेंगे नए कमांडर?”

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नक्सलियों की मिलिट्री बटालियन पर मंडरा रहे संकट के संकेत, नेतृत्व में बदलाव की संभावना

बस्तर में नक्सलवाद की स्थिति 2024 में पूरी तरह से बदलती नजर आ रही है। साल के पहले नौ महीनों में 207 नक्सलियों के मारे जाने और 50 से ज्यादा प्रमुख नक्सली नेताओं के ढेर होने के बाद माओवादी संगठन में बिखराव और टूट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस दौरान नक्सली अपनी टॉप लीडरशिप में बदलाव करने की तैयारी में हैं, खासकर मिलिट्री बटालियन की कमान को लेकर।

माना जा रहा है कि नक्सलियों की मिलिट्री बटालियन नंबर 1 की कमान देवा से छीनकर केसा या लच्छू को सौंपी जा सकती है। देवा की लगातार बढ़ती बीमारी और उसकी कमजोर स्थिति के चलते, बटालियन के अन्य प्रमुख नेताओं केसा और लच्छू की ओर नेतृत्व का भार स्थानांतरित हो सकता है। इन दोनों का नाम बड़े नक्सली ऑपरेशनों में सामने आया है और वे पहले भी बटालियन के दूसरे स्तर पर काम कर चुके हैं।

नक्सलियों की गतिविधियों में भारी गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण सुरक्षा बलों के आक्रामक ऑपरेशंस को माना जा रहा है। इन ऑपरेशनों से नक्सलियों का नेटवर्क ध्वस्त हो चुका है और उनका आंदोलन भी ठप हो गया है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, नक्सली अपने पुराने गढ़ में नई तैनातियों और कैंपों के जरिए अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब उनके पास लोकल युवाओं को जोड़ने की शक्ति नहीं रही है।

इस साल में कुल 96 मुठभेड़ों में 207 नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रमुख सदस्य भी शामिल थे। इसके अलावा, पुलिस ने नक्सलियों के जाने-माने कॉरिडोर को भी पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया है, जिससे उनके नेटवर्क को और नुकसान हो रहा है।

माओवादी अब अपने गढ़ को बचाने के लिए नई रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं, जिनमें इंद्रावती टाइगर रिजर्व या महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा की ओर अपनी गतिविधियों को शिफ्ट करना शामिल है। पुलिस ने 6 नए कैंप भी स्थापित किए हैं ताकि नक्सलियों को और ज्यादा दबाया जा सके।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि अगले दो वर्षों में नक्सलवाद का सफाया कर दिया जाएगा, और उनके दिसंबर में प्रस्तावित बस्तर दौरे के दौरान सुरक्षा बलों के साथ रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

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