12 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती के मौके पर, श्री महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई। सुबह चार बजे मंदिर के कपाट खोले गए, इसके बाद भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया गया। पंढ़े-पुजारियों ने पंचामृत से बाबा महाकाल का अभिषेक किया, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस का उपयोग किया गया। इस अवसर पर महाकाल को वैष्णव तिलक, रजत मुकुट और आभूषण अर्पित कर गणेश स्वरूप में श्रृंगार किया गया।
भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को भांग, चन्दन, सिंदूर और आभूषण अर्पित किए गए। भस्म अर्पित कर कपूर आरती की गई और भगवान को नैवेद्य अर्पित किया गया। भगवान महाकाल ने मस्तक पर चन्दन का तिलक और सिर पर शेषनाग का रजत मुकुट धारण किया था। रजत की मुंडमाला और रजत जड़ी रुद्राक्ष की माला भी अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने भस्म आरती में भाग लिया और बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महा निर्वाणी अखाड़े द्वारा भगवान महाकाल को भस्म अर्पित करने के बाद, भस्म आरती सम्पन्न हुई।