बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को लेकर वाराणसी में काशी के संतों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की और सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। संतों ने एक बैठक आयोजित की और प्रधानमंत्री को पत्र भेजा, जिसमें बांग्लादेश में हो रहे हिंसक घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई गई। संतों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो पूरे हिंदू समुदाय को धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
संतों ने बांग्लादेश में हिंदू और सिखों के धार्मिक स्थलों पर हो रही हिंसा पर गहरी नाराजगी जाहिर की और देश के विपक्षी नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर चुप्पी साधे जाने की भी आलोचना की। उनका कहना था कि भारत में 28 राजनीतिक दल हैं, लेकिन इनमें से कोई भी इस गंभीर मुद्दे पर खुलकर बात नहीं कर रहा है।
संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह समय सरकार और सत्ता का है, लेकिन उनका कर्तव्य है कि वे इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ तक और सड़क से संसद तक पहुंचाएं, ताकि बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा की जा सके।
स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन जब शांति से समाधान नहीं होता है, तो बांग्लादेश के हिंदुओं को अपनी रक्षा के लिए हथियार उठाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि अगर भारत ने यहां शरण दी है, तो बांग्लादेश में शांति स्थापित करने के लिए उसे सैनिक भेजने की जरूरत होगी।
प्रो. रामनारायण द्विवेदी, काशी विद्वत् परिषद के महामंत्री, ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की तत्काल रोकथाम की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर यह अत्याचार नहीं रुके, तो पूरा हिंदू समाज धरने पर बैठ जाएगा और तब तक नहीं उठेगा जब तक इन घटनाओं पर कार्रवाई नहीं की जाती।