छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों को वीर साहिबजादों के बारे में पढ़ाया जाएगा। कैसे छोटी सी उम्र में धर्म के लिए बलिदान दिया और कैसे लालच में एक रसोइए ने उन्हें पकड़ाया था इसकी सच्ची कहानी बच्चों को बताई जाएगी। छत्तीसगढ़ की स्कूली किताबों में वीर साहिबजादों की जानकारी तस्वीरों के साथ होगी। उनके संघर्षों के बारे में बच्चों को बताया जाएगा।
बहादुरी और आज्ञा मानने की अनूठी दास्तां को छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के कोर्स में जोड़ा जाएगा। ये फैसला छत्तीसगढ़ की सरकार ने किया है। रायपुर में वीर बाल दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा CM ने की।
क्या है वीर साहिबजादों की कहानी सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी ने साल 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। इनके चार बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह भी खालसा का हिस्सा थे। उस समय पंजाब में मुगलों का शासन था।
साल 1705 में मुगलों ने गुरु गोबिंद सिंह जी को पकड़ने पूरा जोर लगा, जिसके कारण उन्हें अपने परिवार से अलग होना पड़ा। ऐसे में गुरु गोबिंद सिंह जी की पत्नी माता गुजरी देवी और उनके दो छोटे पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह अपने रसोइए गंगू के साथ एक गुप्त स्थान पर छिपे।
लालच ने गंगू के आंखों पर पट्टी बांध दी और उसने माता गुजरी और साहिबजादों का पता मुगलों को बता दिया। मुगलों ने उन्हें पकड़ लिया और उन पर खूब अत्याचार किए। उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करने लगे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया।
इस समय तक गुरु गोबिंद सिंह जी के दो बड़े पुत्र मुगलों के खिलाफ लड़ाई में शहीद हो चुके थे। अंत में मुगलों ने 26 दिसंबर के दिन बाबा जोरावर साहिब और बाबा फतेह साहिब को जिंदा दीवार में चुनवा दिया। उनकी शहादत की खबर सुनकर माता गुजरी ने भी अपने प्राण त्याग दिए।
26 दिसंबर को मनाया जाता है वीर बाल दिवस
छोटे साहिबजादों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में 9 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व इसकी घोषणा की थी। गुरुवार को इसी मौके पर CM साय रायपुर के मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित बौद्धिक संगोष्ठी में शामिल हुए थे। इस दौरान एनिमेटेड फिल्म भी देखी।
हर दौर में रही तोड़ने वाली ताकतें- साय मुख्यमंत्री साय ने कहा कि समाज को तोड़ने वाली ताकतें हर दौर में सक्रिय रहती हैं। गुरुगोविंद सिंह और उनके साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जैसे वीर जिस धरती पर जन्म लेंगे उसकी ओर कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। वे किसी एक धर्म या पंथ के लिए नहीं वह पूरे भारत के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
वीर बाल दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रेम शंकर सिदार ने कहा कि भारत एक धर्म प्राण देश है। जब देश मे अन्याय बढ़ता है तो यहां के महापुरुष रक्षा के लिए खड़े हो जाते हैं। वे मृत्यु के सामने भी धर्म पर अडिग रहते हैं।