अफसर करते रहे इंतजार, नहीं आए कवासी लखमा : सुकमा के कार्यक्रमों में हुए शामिल; बेटे हरीश और करीबी भी नहीं पहुंचे ED के दफ्तर…!!

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ED की रेड के बाद पूर्व मंत्री कवासी लखमा, बेटे हरीश और उनके दो करीबियों से सोमवार को पूछताछ होनी थी, लेकिन देर शाम कोई भी पहुंचा। लखमा से होने वाली पूछताछ की खबर के चलते सुबह से ही ED दफ्तर के आसपास हलचल दिखाई दे रही थी। लेकिन ना लखमा आए, ना उनके बेटे और ना ही उनके करीबी।

इस दौरान रायपुर के धरमपुरा स्थित कवासी लखमा का बंगला भी सूना दिखाई दिया। पूछने पर पता लगा कि कवासी लखमा सुबह ही सुकमा निकल गए हैं। जानकारी के मुताबिक बस्तर में आरक्षण को लेकर हुए बंद के कार्यक्रमों में लखमा कुछ देर के लिए शामिल हुए थे। जानकारी के मुताबिक 2 जनवरी तक उन्हें ED दफ्तर में पेश होने कहा गया है।

सुशील ओझा गायब

कवासी लखमा के करीबी सुशील ओझा की फिलहाल कोई खबर नहीं है। 21 घंटे पहले भले ही सोशल मीडिया में ओझा एक्टिव थे लेकिन इस समय सुशील ओझा कहां है, इसकी जानकारी नहीं मिली है।

लखमा के मंत्री रहते ओझा अधिकतर उनके बंगले में दिखाई देते थे। ED ने दस्तावेज जप्त करने के बाद सभी लोगों को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया था।

रेड में कई दस्तावेज जब्त

रविवार के दिन सुकमा और रायपुर में हुई ED की छापेमारी में अफसरों ने कई कागजी और डिजिटल सबूत जब्त किए हैं। इनमें सभी के मोबाइल भी शामिल हैं। साइबर एक्सपर्ट की मदद से इन्हे डिकोड किया गया है। कॉल डिटेल और चैट के आधार पर आगे की पूछताछ की जाएगी।

बता दें कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे हरीश लखमा, सुकमा नगर पालिक अध्यक्ष जगनाथ राजू साहू, जयंत देवांगन और ठेकेदार राजभुवन भदौरिया से पूछताछ के बाद ED आगे की कार्रवाई करेगी।

अपने पूर्व के ECIR में ED ये कह चुकी है कि कवासी लखमा को आबकारी मंत्री रहते हुए हर माह 50-50 लाख मिलते थे। लेकिन कवासी लखमा ने इस बारे में ये कहा था कि उन्हें शराब घोटाले के बारे में मीडिया में छपी खबरों के जरिए ही पता लगा। वहीं अनपढ़ होने की वजह से एपी त्रिपाठी जैसे अफसरों ने जहां कहां वहां उन्होंने साइन किया।

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