बड़ी समस्या: एक ही शिक्षक के भरोसे साढ़े पांच हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल….!

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2022-23 सत्र में 6,271 स्कूल ऐसे थे, जिनमें मात्र एक शिक्षक थे। हालांकि, इस बीच मात्र 431 स्कूल में कमी आई है। मगर, जानकारी के अनुसार अभी भी सबसे ज्यादा समस्या बस्तर संभाग और सरगुजा संभाग में देखने को मिल रही है।

रायपुर: प्रदेश में 56,895 शासकीय स्कूल हैं, जहां, 51,67,357 से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। इसके लिए लगभग 1,78,731 शिक्षक हैं। प्रदेश के 5,840 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं।

इन स्कूलों को एक-एक शिक्षक चला रहे हैं। 2022-23 सत्र में 6,271 स्कूल ऐसे थे, जिनमें मात्र एक शिक्षक थे। इस बीच मात्र 431 स्कूल में कमी आई है। जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा समस्या बस्तर संभाग में हैं। इसी तरह सरगुजा संभाग में भी हैं।

वहीं सबसे ज्यादा बस्तर जिला में 430, कोंडागांव में 420, सुकमा में 300, कोरबा 340, बलरामपुर 300, कांकेर 260, रायगढ़ 260 सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

वहीं, एकल शिक्षक की बात करें, तो वह प्रदेश के सभी जिले में हैं। यहां तक कि रायपुर जिले में भी, जहां 20 से अधिक स्कूल शामिल हैं। फिर भी शिक्षा व्यवस्था के अफसरों का ध्यान नहीं है।

दरअसल, रायपुर शहर के अंदर कई स्कूल हैं, जहां शिक्षकों की संख्या अधिक है। इनमें ठाकुर प्यारेलाल स्कूल, दानी गर्ल्स स्कूल, जेएन पांडेय स्कूल शामिल है, जहां 50 से अधिक शिक्षक हैं।

फेल होने पर दोबारा पढ़ाई

कुछ दिन पहले केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, फेल होने पर दोबारा उसी कक्षा में पढ़ाई करने वालों में छत्तीसगढ़ में 7.7 प्रतिशत हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में 7.3 प्रतिशत, झारखंड के 5.4 प्रतिशत फेल होने पर दोबारा पढ़ाई करके अगली परीक्षा पास होने की कोशिश करते हैं।

 

स्कूल ड्रॉप आउट की संख्या में कमी

छत्तीसगढ़ में पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या कमी आई है। 2023-24 में प्राइमरी 1.8, अपर प्राइमरी में 5.3, सेकेंडरी में 16.20 हैं। वहीं 2022-23 में प्राइमरी 5.40, अपर प्राइमरी में 6.60 और सेकेंडरी में 18.20 था।

हालांकि, शिक्षा विभाग द्वारा ड्रॉपआउट कम करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई का बेहतर माहौल देने स्कूलों में सुविधाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।

वहीं, प्रवेश के समय शिक्षकों द्वारा गली-मोहल्लों में जाकर छात्र-छात्राओं का स्कूल पढ़ाने के कारण और उसको मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास किया जाता है।

इसी का नतीजा है कि पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। हालांकि, इसके बावजूद अभी भी शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या है।

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