रायगढ़ : छात्रों की मांग पर यूनिवर्सिटी ने पूरक परीक्षाओं की तारीख एक हफ्ते के लिए बढ़ा दी थी। अब पुनर्मूल्यांकन के नतीजों के बाद कॉलेज के छात्र संतुष्ट नहीं है और आरटीआई से कॉपियां लेकर उसकी फिर जांच कराने और पूरक परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं।
एनएसयूआई का दावा है कि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार से उनकी बात हो गई है। छात्र आरटीआई के तहत कॉपी लेंगे और उसका मूल्यांकन फिर से कराया जाएगा। हालांकि ऐसा हुआ तो दो महीने में भी पूरक परीक्षाएं नहीं हो सकेंगी। दरअसल, पुनर्मूल्यांकन में कुछ विद्यार्थियों के नंबर बढ़े हैं, तो कुछ के कम भी हो गए हैं। कई स्टूडेंट्स जो पहले पास थे, रिवेल के बाद फेल हो गए। कई छात्रों को जिस विषय में 4-5 नंबर मिले थे, उन्हें 35 नंबर तक मिल गए हैं। इसे देखकर ही छात्र और छात्र संगठन रिवेलुएशन पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं।
शहीद नंदकुमार पटेल यूनिवर्सिटी से मिली जानकारी के मुताबिक पहले एक विषय में फेल होने पर सप्लीमेंट्री होती थी। पिछले सत्र से दो विषय में फेल होने वाले स्टूडेंट को सप्लीमेंट्री माना जाता है। पुनर्मूल्यांकन में एक विषय में फेल हुए छात्रों में 4052 स्टूडेंट पास हो गए। पुनर्मूल्यांकन में जिस तरह से नंबर बढ़े और काम हुए, इससे विद्यार्थियों को लगता है कि उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में लापरवाही बरती गई है।
पुनर्मूल्यांकन में फेल भी हो गए कई छात्र
पुनर्मूल्यांकन से एक विषय में फेल होने वाले 4052 स्टूडेंट पास हुए हैं। पांच ऐसे स्टूडेंट से जो पहले पास थे, लेकिन पुनर्मूल्यांकन के बाद सप्लीमेंट्री आ गए। चार स्टूडेंट्स पहले पास थे, अब दो विषयों में फेल हो गए हैं। आठ विद्यार्थी ऐसे हैं, जो पहले एक विषय में फेल थे, अब दो विषय में फेल हो गए हैं। 990 स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिनके रिवेलुएशन के बाद अंक कम हुए हैं। हालांकि उनके परिणाम में अंतर नहीं हुआ है।
आचार संहिता समाप्ति के बाद आंदोलन करेंगे
उत्तरपुस्तिकाओं की जांच में बड़ी लापरवाही देखी जा रही है। कुछ स्टूडेंट्स के 30 नंबर तक बढ़ गए तो कुछ पास से फेल हो गए हैं। हम लोगों ने रजिस्ट्रार से मिलकर आरटीआई से उत्तरपुस्तिका उपलब्ध कराने और फिर से जांच करने पर चर्चा की है। हम चाहते हैं कि सप्लीमेंट्री की तारीख आगे बढ़ाई जाए। यूनिवर्सिटी इसके लिए सहमत है। हमारी मांग नहीं मानी गई, उत्तरपुस्तिका की जांच फिर से नहीं कराई गई तो आचार संहिता खत्म होते ही आंदोलन करेंगे। -आरिफ हुसैन, एनएसयूआई