सहकारी समिति से गायब मिला 1.75 करोड़ का धान : सूरजपुर में खाद्य अधिकारी के दल ने की जांच; स्टॉक से ज्यादा मिला खाली बोरा…!!

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छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में प्रेमनगर के धान उपार्जन केंद्र चंदननगर का खाद्य अधिकारी के दल ने जांच की। धान खरीदी केंद्र से 7479 क्विंटल धान कम पाया गया, जिसकी कीमत एक करोड़ 75 लाख रुपए है। समिति में 5272 धान के बोरे अधिक मिले। एक समिति में करीब पौने दो करोड़ रुपए का धान गायब होने से हड़कंप मच गया है। आशंका है कि समिति में कागजों में धान की खरीदी की गई है। मामले में समिति प्रबंधक सहित अन्य के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन सूरजपुर कलेक्टर को भेजा गया है।

समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान बड़ी मात्रा में फर्जी खरीदी रोकने के लिए सूरजपुर कलेक्टर एस. जयवर्धन ने जिले के सभी 54 धान खरीदी केंद्रों के भौतिक सत्यापन के लिए जिला स्तरीय दल का गठन किया है।

जिला स्तरीय दल के द्वारा धान खरीदी केन्द्रों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। खाद्य अधिकारी संदीप भगत और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी उमा रानी सिंह की टीम द्वारा उपार्जन केंद्र प्रेमनगर (चन्दननगर) में 13 स्टेक और फड़ में उपलब्ध धान और बारदाना का भौतिक सत्यापन किया गया।

18661 बोरा धान मिला गायब

जांच के दौरान खरीदी केंद्र में स्टॉक रजिस्टर में 85553 बोरे में 34235.50 क्विंटल धान उपलब्ध होना बताया गया। समिति में उपलब्ध धान की जांच के दौरान 66892 बोरे, वजन 26756.80 क्विंटल अनुमानित धान पाया गया।

खरीदी केन्द्र में 18661 बोरे धान वजन 7478.7 क्विंटल गायब मिला। इसकी कीमत 2350 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से लगभग 1 करोड़ 75 लाख 74 हजार 945 रुपए है। 3100 रुपए प्रति क्विंटल की कीमत से गायब धान की कीमत 2 करोड़ 31 लाख रुपए आंकी गई है।

स्टॉक से अधिक मिला खाली बोरा

समिति की जांच में नए खाली बोरे 5272 नग अधिक मिले। जांच के समय आदिम जाति सेवा सहकारी समिति प्रेमनगर और खरीदी प्रभारी ठाकुर प्रसाद अनुपस्थित मिले। उपार्जन केन्द्र के खरीदी प्रभारी ठाकुर प्रसाद, कम्प्यूटर ऑपरेटर कुलदीप सर्वटे, बारदाना प्रभारी लवांग सिंह, तौल प्रभारी पवन सिंह, शिवराम के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रकरण सूरजपुर कलेक्टर के समक्ष पेश किया गया है।

बड़ी मात्रा में फर्जी धान खरीदी की आशंका

छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी 3100 रुपए प्रति क्विंटल है। धान और चावल के आवक पर धान खरीदी तक रोक है, जबकि राइस मिलरों से चावल छह माह तक लिया जाता है। इस दौरान झारखंड से धान बड़ी मात्रा में लाकर राइस मिलरों द्वारा मिलिंग कर जमा की जाती है।

इस फर्जीवाड़े में समिति से लेकर राइस मिलरों की मिलीभगत होती है। आशंका है कि सूरजपुर में कागजों में बड़ी मात्रा में धान की खरीदी की गई थी, जो कलेक्टर की टीम की जांच में पकड़ी गई।

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