श्री सीमेंट प्लांट हादसा…छात्राएं डर से नहीं आ रहीं स्कूल:7 दिन में देना होगा जवाब; बलौदाबाजार में कई महीनों से गैस रिसाव, 38 बीमार…!!

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“बच्चियां उल्टी कर रही थी। कुछ की आंखों में जलन, तो किसी को चक्कर आ रहा था। कुछ को सांस लेने में तकलीफ हुई। ये सब श्री सीमेंट प्लांट की वजह से हुआ। इस प्लांट से 5 महीने से गैस लीक हो रही है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अब हाल देख लीजिए 38 बच्चे बीमार हैं, जिसमें 8 बेहोश हो गए थे।

ये बातें बलौदाबाजार के खपराडीह गांव के गैस रिसाव पीड़ित बच्चियों के परिजनों ने कही है। दैनिक भास्कर की टीम ने गांव में स्कूली बच्चियों और उनके परिजनों से बात की। बच्चियों ने कहा कि सबसे पहले 25 सितंबर, 10 जनवरी, 18 जनवरी और फिर 22 जनवरी को गैस लीक हुई है। वह स्कूल आने से डर रही हैं। अब प्लांट के खिलाफ नोटिस जारी कर 7 दिन के अंदर समाधान के साथ जवाब मांगा गया है।

अब विस्तार से पढ़िए गैस लीक की पूरी कहानी…

अब जानिए कैसे बेहोश हो गए बच्चे ?

दरअसल, श्री सीमेंट प्लांट और खपराडीह सरकारी स्कूल की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है। ऐसे में प्लांट से लीक होकर जहरीली गैस तेज गंध के साथ स्कूल इलाके में फैल गई। स्कूल के बच्चे एक के बाद एक बेहोश होते गए, कुछ उल्टियां करने लगे। शिक्षक कुछ समझ पाते की स्कूल में चीख-पुकार मच गई।

स्कूल के 178 बच्चों में से 38 ही बीमार हुए, जिनमें 9वीं, 10वीं और 12वीं के हैं। इनमें एक बच्ची को रायपुर रेफर किया गया है। वहीं त्रिती चक्रधारी, अमरीका ध्रुव और दीपिका साहू को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाकियों को नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया।

भास्कर से छात्रा बोली-बदबू बहुत तेज थी

दैनिक भास्कर की टीम ने स्कूल में बच्चों से बातचीत की। इस दौरान एक छात्रा ने बताया कि हम सब लोग स्कूल आए थे। प्रार्थना होने के बाद सभी लोग क्लास में थे, तभी पहले कम बदबू आई। इसके बाद धीरे-धीरे बदबू बढ़ गई। किसी को चक्कर, तो किसी को सिर दर्द की शिकायत होने लगी थी। बच्चे बेहोश होने लगे थे।

परिजनों ने कहा कि हमारी बच्ची की हालत अभी कुछ ठीक है। बातचीत कर रही है। गैस रिसाव को लेकर कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा है।किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।

गैस की बदबू बहुत ही भयानक थी

वहीं शिक्षिका ने बताया कि बच्चों को जैसे ही घुटन और उल्टी होने लगी तो तत्काल DEO और BEO को सूचना दी गई। बच्चों को फौरन अस्पताल पहुंचा गया। गैस की बदबू बहुत ही भयानक थी। इससे बच्चे बीमार हुए हैं।

पहले भी हुआ था गैस का रिसाव

ग्रामीणों का कहना है कि घटना तब हुई जब फैक्ट्री में अल्टरनेटिव फ्यूल्स एंड रॉ मटेरियल (AFR) के तहत वेस्ट मटेरियल को जलाया जा रहा था। इससे खतरनाक गैस निकली है। यह पहली बार नहीं है, जब फैक्ट्री से इस तरह की गैस लीक हुई हो। इससे पहले भी कई बार हो चुकी है, लेकिन उन घटनाओं में प्रभाव कम था।

ग्रामीणों ने किया प्लांट का घेराव

गैस रिसाव के बाद स्थानीय और बच्चों के परिजनों ने देर रात तक श्री सीमेंट प्लांट के बाहर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन ने फैक्ट्री प्रबंधन के साथ मिलकर मामले को दबाने की कोशिश की है। प्रशासनिक अधिकारी कंपनी के पक्ष में काम कर हैं। प्लांट प्रबंधन की ओर से एसडीएम अंशुल वर्मा बयान दे रहे हैं।

ग्रामीण लीना रजक का कहना है कि इस बार बच्चों की जान पर बन आई है, लेकिन प्रशासन और फैक्ट्री प्रबंधन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे। गांव वालों ने मांग की है कि फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों की सख्ती से जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो।

अल्टरनेटिव फ्यूल्स एंड रॉ मटेरियल गैस कितनी खतरनाक

  • अल्टरनेटिव फ्यूल्स और रॉ मटेरियल से बनी गैस, जैसे बायोगैस, बायोएथेनॉल, या संश्लेषित गैस, आमतौर पर पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल होती हैं।
  • हालांकि, इन गैसों में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और बेंजीन जैसे हानिकारक तत्व हो सकते हैं।
  • यह निर्भर करता है कि इन गैसों के उत्पादन और उपयोग के दौरान किस प्रकार की तकनीक और सफाई प्रक्रिया अपनाई गई है।
  • अगर पर्याप्त रूप से ना जले या सफाई ना हो तो यह इंसान और पर्यावरण के लिए विषैली हो सकती हैं।
  • कार्बन मोनो-ऑक्साइड के उच्च स्तर से श्वसन प्रणाली (Respiratory system) पर उल्टा प्रभाव पड़ सकता है। जानलेवा हो सकता है।
  • इन गैसों की विषाक्तता को नियंत्रित करना सही प्रक्रिया और प्रौद्योगिकी पर निर्भर करता है।
  • आधुनिक संयंत्र और उपकरण आमतौर पर उत्सर्जन को कम करने के लिए डिजाइन किए गए होते हैं।
  • अगर प्रबंधन में कमी होती है या उपयोगकर्ता पर्याप्त सावधानी नहीं बरतते, तो ये गैसें आसपास की हवा की क्वालिटी को बिगाड़ सकती हैं।
  • दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं।

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