छत्तीसगढ़ से पंडी राम मंडावी को पद्मश्री सम्मान : नारायणपुर के गोंड मुरिया जनजाति के कलाकार; पारंपरिक वाद्ययंत्र बनाने और शिल्पकला क्षेत्र में योगदान…!!

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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 30 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। पद्मश्री पुरस्कारों की सूची में छत्तीसगढ़ से पंडी राम मंडावी का नाम शामिल किया गया है। वे नारायणपुर जिले के गोंड मुरिया जनजाति के जाने-माने कलाकार हैं। इस प्रतिष्ठित सम्मान की लिस्ट में उनका नाम पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए शामिल किया गया है। पंडी राम मंडावी, 68 साल के हैं, पिछले पांच दशकों से बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि उसे नई पहचान भी दिला रहे हैं।

पंडी राम मंडावी की विशेष पहचान बांस की बस्तर बांसुरी से भी है, जिसे ‘सुलुर’ कहा जाता है। इसके अलावा, उन्होंने लकड़ी के पैनलों पर उभरे हुए चित्र, मूर्तियां और अन्य शिल्पकृतियों के माध्यम से अपनी कला को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है।

3 श्रेणियों में दिया जाता है पद्म पुरस्कार

देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में शामिल पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों- पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण में प्रदान किए जाते हैं। ये पुरस्कार कला, समाज सेवा, साइंस, इंजीनियरिंग, बिजनेस, इंडस्ट्री, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल और सिविल सेवा जैसे विविध क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए दिए जाते हैं।

पिछले साल 3 हस्तियों को मिला था सम्मान

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान होता है। 25 जनवरी 2024 को छत्तीसगढ़ से तीन लोगों को पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया। जशपुर के जागेश्वर यादव, रायगढ़ के रामलाल बरेठ और नारायणपुर के हेमचंद मांझी को पद्मश्री सम्मान मिला था।

  • बिलासपुर संभाग के रायगढ़ जिले के रहने वाले पंडित रामलाल बरेठ को कला के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। बरेठ कथक के उम्दा नर्तक हैं। पूर्व में उन्हें अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
  • जागेश्वर जशपुर में आदिवासी कल्याण के लिए काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। बिरहोर और पहाड़ी कोरवा जैसी जनजातियों के लिए इन्होंने काम किया। जशपुर में एक आश्रम की स्थापना की। जहां यह आदिवासी समुदाय की निरक्षरता को खत्म करने और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं में सुविधा देने के लिए काम करते हैं ।
  • प्राचीन औषधि परंपराओं को आगे ले जाने का काम हेमराज करते हैं। नारायणपुर जिले के रहने वाले हेमराज लोगों को अपने औषधि ज्ञान की वजह से सस्ती स्वास्थ्य सेवा देते हैं। 5 दशकों से अधिक समय से ग्रामीण इलाकों में यह काम कर रहे हैं। महज 15 साल की उम्र से ही जरूरतमंद लोगों की सेवा कर रहे हैं।

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