15 से 55 लाख रुपए तक किए गए थे खर्च : खेल प्रतिभाओं को बढ़ाने के लिए गांवों में बने 150 से ज्यादा मिनी स्टेडियम बर्बाद…!!

Spread the love

छत्तीसगढ़ में बीते 24 सालों में अलग-अलग सरकारों ने ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने लिए गांवों में मिनी स्टेडियम या खेल मैदान बनवाए। इसके लिए बाकायदा राज्य के बजट में प्रावधान किए गए। 3000 से ज्यादा आबादी वाले गांवों और ब्लॉक मुख्यालयों में ये संसाधन विकसित किए गए। एक-एक मैदान व मिनी स्टेडियम बनाने के नाम पर 15 लाख रुपए से लेकर 55 लाख रुपए तक की राशि खर्च की गई, लेकिन करोड़ों रुपए के इन संसाधनों की हालत आज बेहद बुरी है।

मिनी स्टेडियम ऐसी जगहों पर बना दिए गए, जो गांव से दूर थे। उबड़-खाबड़ जमीन को मैदान बनाने के नाम पर राशि खर्च की गई। इन स्टेडियम में अब घास उग आए हैं। स्टेडियम में खिलाडि़यों व मैनेजमेंट के लिए बने कमरों के खिड़की-दरवाजे गायब हो चुके हैं और कमरों में मवेशियों का कब्जा है। इन संसाधनों में शराबखोरी तक होती है। खिलाडि़यों के लिए बने ये स्टेडियम खिलाडि़यों के उपयोग के लायक नहीं बचे हैं।

टेड़ेसरा (राजनांदगांव) } 29 लाख के स्टेडियम में कांटेदार घास उग आई

राजनांदगांव के टेड़ेसरा ग्राम पंचायत में 29 लाख रुपए की लागत से मिनी स्टेडियम का निर्माण दिसंबर 2014 में पूरा किया गया। इस मिनी स्टेडियम में 10 साल में एक भी खेल प्रतियोगिता आयोजित नहीं की जा सकी है। मैदान में सिर्फ घास-फूस ही हैं। यह खेलने लायक भी नहीं बचा है। गैलरी भी क्षतिग्रस्त है।

करतला (कोरबा) } स्टेडियम के खिड़की दरवाजे गायब, कोई आयोजन भी नहीं

कोरबा के करतला में 16 साल पहले 25 लाख से गांव से एक किमी दूर जंगल के बीच बने मिनी स्टेडियम के खिड़की-दरवाजे चोरी हो गए। यहां बड़े स्तर पर कोई खेल स्पर्धा नहीं ह​ुई। दर्शक दीर्घा टूट चुकी है और सरिया बाहर आ चुका है। मैदान में पौधे उग आए हैं।

चारभाठा (कवर्धा) } 25 लाख खर्च कर बनाया, मुरुम के लिए उसे ही खोदा

कबीरधाम जिले के सहसपुर लोहारा जनपद के बाजार चारभाठा में 2010-11 में 25 लाख से मिनी स्टेडियम बनाया। इसका गेट टूट चुका है। मैदान में बड़े-बड़े पत्थर हैं। मैदान को मुरुम के लिए खोदा गया। यह मैदान खेलने लायक तक नहीं बचा है।

एक बार कार्य की स्वीकृति के बाद उसके मेंटेनेंस को लेकर कोई प्रावधान नहीं हैं। रखरखाव के लिए अलग से कोई मद नहीं है। नए मिनी स्टेडियम निर्माण को लेकर फिलहाल कोई योजना नहीं है, लेकिन इस कार्य को समग्र योजना में पहले ही शामिल किया जा चुका है। – प्रियंका ऋषि महोबिया, डायरेक्टर, पंचायत विभाग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *