निकाय के बाद अब पंचायत चुनाव का जोर:तीन चरणों में होंगे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव…!!

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छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव का प्रचार थमने के साथ ही त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। तीन चरणों में होने वाले चुनाव के तहत प्रदेश के 433 जिला और 2973 जनपद सदस्यों के साथ ही 11671 सरपंच पद के लिए चुनाव होने वाले हैं। सबसे खास बात यह है कि पंच के 1 लाख 60 हजार 161 पद के लिए 2 लाख 92 हजार से ज्यादा प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।

इन प्रत्याशियों को ग्रामीण परिवेश के मुताबिक ही दो पत्ती, छाता, गाड़ी, हल जैसे चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए हैं। बताया गया है कि तीन चरणों में इसके लिए मतदान किए जाएंगे। इनमें 17 फरवरी, 20 फरवरी और 23 फरवरी की तिथि निर्धारित की गई है। इस दौरान मतगणना 18, 21 और 24 फरवरी को की जाएगी।

त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में सबसे खास बात यह है कि यह दलीय आधार पर नहीं कराए जाते। भले ही जिला पंचायतों के लिए राजनीतिक दल अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा करती है लेकिन इसमें चुनाव चिन्ह आयोग द्वारा निर्धारित मापदंड के मुताबिक ही प्रदान किए जाते हैं। नाम वापसी के बाद जिला, जनपद के साथ ही सरपंच और पंच प्रत्याशी को चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिए गए हैं। इनमें कई ऐसे चुनाव चिन्ह भी होते हैं जो लोगों को काफी आक​र्षित करते हैं तो कई लोगों को चौकाते भी हैं।

क्या है प्रक्रिया राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चुनाव चिन्हों के आवंटन को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। आयोग की आेर से कहा गया है कि जब किसी वार्ड या निर्वाचन क्षेत्र में अधिक संख्या में उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो उस स्थिति में अतिरिक्त प्रतीक चिन्हों का आवंटन किया जाएगा।

क्यों जरूरी है चिन्ह चुनाव चिन्ह का आबंटन प्रत्याशियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो उनके चुनावी अभियान को और भी स्पष्टता प्रदान करती है। प्रत्येक प्रत्याशी को उनके चुनावी चिन्ह के साथ चुनाव मैदान में उतरने की अनुमति मिल गई है। अब, प्रत्याशी अपनी-अपनी पार्टी या स्वतंत्र रूप से चुनाव प्रचार में जुटेंगे।

इस तरह के चुनाव चिन्ह : दो पत्ती, पतंग, छाता, गाड़ी, खंभे पर ट्यूबलाइट, हल, गिलास, नारियल पेड़, टेबल लैंप, ब्लैक बोर्ड, बरगद का पेड़, झोपड़ी, ट्रैक्टर चलाता हुआ किसान, चश्मा, फलों सहित नारियल का पेड़, हस्तचलित पंप, अनाज बरसाता हुआ किसान, सब्जियों की टोकरी, ताला-चाबी, घंटी हार, किताब, स्टूल, गेहूं की बाली, जग जैसे चुनाव चिन्ह, बिजली का स्विच, कैची, केतली, बेलन, सीड़ी, फावड़ा, कुल्हाड़ी, बाल्टी

अतिरिक्त चुनाव चिन्ह की जरूरत भी दरअसल आवंटित किए जाने वाले अतिरिक्त प्रतीक चिन्ह उस समय की आवश्यकता के अनुसार होते हैं, जब एक ही चुनावी क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या बहुत अधिक हो। ऐसे में आयोग द्वारा किसी विशेष प्रतीक चिन्ह के समाप्त हो जाने के बाद एक नया चिन्ह चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारों को आवंटित किया जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह है कि चुनाव में कोई भी उम्मीदवार बिना चिन्ह के नहीं रह जाए और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।

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