छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली 100 से ज्यादा यात्री ट्रेनें पिछले 15 दिन से अलग-अलग कारणों से रद्द कर दी गई हैं। चार दर्जन ट्रेनें तीसरी लाइन को कनेक्ट करने, अलग-अलग मंडलों में इंटरलॉकिंग के नाम पर तीन दर्जन ट्रेनें तथा कुछ मौसम और कोहरे के नाम पर रोक दी गई हैं। हालात यह हैं कि हर जरूरी रूट पर प्रमुख ट्रेनें नहीं चल रही हैं या हफ्ते में तीन-चार दिन रोक दी गई हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में मालगाड़ियां किसी भी कार्य से प्रभावित नहीं हैं।
यहां चल रही सभी 180 मालगाड़ियां पटरी पर हैं। जानकारी के अनुसार राजनांदगांव-कन्हान तीसरी रेल लाइन परियोजना के तहत कन्हान रेलवे स्टेशन यार्ड को तीसरी लाइन से कनेक्ट करने 48 ट्रेनें, उत्तर पूर्व रेलवे के वाराणसी रेल मंडल के छपरा यार्ड के आधुनिकीकरण के कम की वजह से दुर्ग-छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनें बुरी तरह प्रभावित हैं।
इसी तरह पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर रेल मंडल के अंतर्गत बरांझ रेलवे स्टेशन में नॉन इंटरलॉकिंग के काम की वजह से पांच, ईस्ट कोस्ट रेलवे के संबलपुर रेल मंडल के अंतर्गत सरला-संबलपुर सेक्शन में ब्लॉक लेकर काम करने की वजह से टिटिलागढ़ पैसेंजर सहित अन्य ट्रेनें, सर्दियों में कोहरे के लिए अग्रिम योजना के तहत दुर्ग-छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस फरवरी माह तक 77 दिन और उत्तर रेलवे जोन से चलने वाली निज़ामुद्दीन–अम्बिकापुर-निजामुद्दीन साप्ताहिक स्पेशल फरवरी माह तक 87 दिन रद्द रहेगी। उत्तर मध्य रेलवे के आगरा रेल मंडल में मथुरा यार्ड के आधुनिकीकरण के काम के कारण 20 ट्रेनों काे कैंसिल किया गया है। भोपाल रेल मंडल में बुधनी-बरखेड़ा के मध्य नॉन इंटरलॉकिंग के काम की वजह से 8 ट्रेनों का कैंसिल किया गया है। चंदिया रोड यार्ड को तीसरी लाइन से जोड़ने के लिए 30 ट्रेनों को रद्द किया गया है। इनमें कुछ ट्रेनें साप्ताहिक तो कुछ नियमित ट्रेनें हैं। फरवरी तक रद्द करने का शेड्यूल जारी उत्तर भारत में दिसंबर, जनवरी और फरवरी में पड़ने वाली ठंड और कोहरे को देखते हुए दुर्ग-छपरा-दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस और निजामुद्दीन-अंबिकापुर-निजामुद्दीन एक्सप्रेस का शेड्यूल जारी किया है। सारनाथ एक्सप्रेस दिसंबर में 25 दिन, जनवरी में 27 दिन और फरवरी में 25 दिन रद्द रहेगी। इसी तरह निजामुद्दीन एक्सप्रेस 5 दिसंबर से 29 फरवरी तक यानी 87 दिन रद्द रहेगी। रेलवे अफसरों के मुताबिक कोहरे की वजह से हर साल ट्रेनें धीमी गति से चलती हैं।
या रद्द करनी पड़ती है, इसलिए पहले से ही योजना बनाई जाती है।
रायपुर-बिलासपुर सर्वाधिक प्रभावित दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे माल लदान में अव्वल है, जबकि यात्री सुविधाओं के मामले में ट्रेनें रद्द होने की वजह से लगातार पीछे हो रहा है। पड़ताल के मुताबिक 80 प्रतिशत ट्रेनें लेट चल रहीं है। इसके विपरीत औसतन रोजाना 180 मालगाड़ियां अप एवं डाउन दिशा में चल रही हैं। इनमें 30 फीसदी मालगाड़ियों की रैक खाली होती है, यानी जो माल खाली करके लौटती हैं।
जहां तक मालगाड़ियों के परिचालन का सवाल है, रायपुर से बिलासपुर की ओर अप एवं डाउन में 60-60 मालगाड़ियां आती-जाती हैं। इसीलिए यात्री ट्रेनों के मामले में यही हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित है। कटनी रूट पर 25-25 मालगाड़ियां अप-डाउन दिशा में चल रही हैं। दाधापारा साइडिंग से 5-5 मालगाड़ियां प्रतिदिन चल रही हैं। इनमें कभी-कभी मालगाड़ियों की संख्या में 10-15 की कमी या वृद्धि होती रहती है।
मरम्मत के दौरान भी मालगाड़ी नहीं रोकते
देशभर में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के बिलासपुर और नागपुर रेल मंडल सहित अलग-अलग जोन में चल रहे स्टेशन यार्ड आधुनिकीकरण की वजह से प्रतिदिन औसत 100 ट्रेनें अलग-अलग दिशाओं की रद्द रहेंगी।
जबकि पटरियों पर काम चलने के दौरान मालगाड़ियों को कैंसिल करने के बजाय आउटर या स्टेशनों की मिडिल लाइन में खड़ा कर दिया जाता है। जैसे की काम पूरा होता है, एक-एक कर मालगाड़ियां चलाई जाने लगती हैं।