प्रदेश सरकार की ओर से 5वीं, 8वीं केंद्रीयकृत परीक्षा (बोर्ड) करवाने के फैसले ने प्राइवेट स्कूलों में चल रहे एक बड़े स्कैम का पर्दाफाश किया है। राज्य में 7,160 प्राइवेट स्कूल हैं। इनमें से 70% स्कूल सीबीएसई या प्राइवेट पब्लिशर की किताबों से कोर्स करवा रहे हैं, जबकि इन्हें मान्यता सीजी बोर्ड से है।
इन्होंने कई सालों से खुद को सीबीएसई से मान्यता प्राप्त बताकर, या इस संभावना में कि भविष्य में सीबीएसई से मान्यता मिल जाएगी, अभिभावकों को धोखे में रखकर दाखिले दिए। मोटी फीस, किताबों का कमीशन वसूला। निजी स्कूलों की इसी धोखाधड़ी से आज करीब 2 लाख छात्र फंस गए हैं। वजह- इन्हें सीबीएसई नहीं, बल्कि सीजी बोर्ड के सिलेबस से तैयार प्रश्न-पत्रों पर परीक्षा देनी है।
पड़ताल में सामने आया कि निजी स्कूल क्या पढ़ा रहे हैं, क्या नहीं, इसकी मॉनिटरिंग का स्कूल शिक्षा विभाग, डीपीआई, डीईओ और बीईओ तक कोई सिस्टम नहीं है। न ही जिम्मेदारों की ओर से कभी औचक निरीक्षण होते हैं। प्राइवेट स्कूलों का तर्क है कि सीजी बोर्ड का सिलेबस अपडेटेड नहीं है। वे क्वालिटी एजुकेशन के लिए सीबीएसई पैटर्न को फॉलो करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि हां, इसकी सूचना डीईओ, डीपीआई को नहीं दी जाती है। पड़ताल में कई ऐसे स्कूल मिले जिन्होंने बोर्ड में, दीवारों पर सीबीएसई पैटर्न लिखा है, जबकि मान्यता सीजी बोर्ड से है।
अब तक क्यों पकड़ नहीं आई यह गड़बड़ी दरअसल, 5वीं, 8वीं के ब्लू प्रिंट आने से पहले तक निजी स्कूल खुद प्रश्न पत्र बनाते, परीक्षा लेते, मूल्यांकन करते, रिजल्ट बनाते और मार्कशीट जारी करते आ रहे थे। इसमें डीईओ की कोई दखलनदाजी नहीं थी। मगर, अब ऐसा नहीं है। पहली बार सरकार ने 8वीं तक पास करने का नियम बदल दिया है। अब सारी प्रक्रिया डीईओ स्तर पर गठित जिला स्तरीय समिति करेगी। इसलिए वे प्राइवेट स्कूल हड़बड़ाए हुए हैं, जो सीजी बोर्ड के बजाय सीबीआई की किताब पढ़ा रहे हैं।
5वीं का सिलेबस- सीजी बोर्ड- गणित, अंग्रेजी, हिंदी, पर्यावरण। (नि:शुल्क) प्राइवेट स्कूल- इंग्लिश, इंग्लिश ग्रामर, वर्क बुक, लैंग्वेज बुक, हिंदी, हिंदी ग्रामर, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, गणित, जीके, कम्प्यूटर, आर्ट एंड क्राफ्ट, रेजनिंग, लाइफ स्किल एंड वैल्यू। (बुक चार्ज- 9000 रुपए।)
8वीं का सिलेबस- सीजी बोर्ड- गणित, हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, संस्कृत/ऊर्दू। प्राइवेट स्कूल- हिंदी, इंग्लिश, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत, कम्प्यूटर, आर्ट, जीके, शारीरिक शिक्षा। (बुक चार्ज- 10,000-12,000 रुपए तक।) सीबीएसई और सीजी बोर्ड के सिलेबस में अंतर है- गणित, विज्ञान तो छात्र फिर भी हल कर लें लेकिन मोरल साइंस, आर्ट एंड क्राफ्ट, हिंदी, इंग्लिश के जवाब देने कठिन होंगे क्योंकि सिलेबस बहुत ज्यादा अलग है।
सिस्टम ही गड़बड़: जानिए कौन कैसे जिम्मेदार
{जिम्मेदार नं. 1, स्कूल मैनेजमेंट: निजी स्कूल मैनेजमेंट सीबीएसई से मान्यता न होने के बावजूद सीबीएसई सिलेबस या फिर प्राइवेट पब्लिशर की किताबों से कोर्स करवाते हैं। बाकायदा प्रचार करते हैं। फायदा: खुद को सीबीएसई मान्यता प्राप्त बताकर मोटी फीस ले रहे। किताबों के लिए अलग से चार्ज कर रहे। फीस: सालाना 20 से 60 हजार तक है। किताबों के लिए 10 हजार तक चार्ज करते हैं। {जिम्मेदार नं. 2, शिक्षा विभाग: राज्य में संचालित पहली से 8वीं तक के स्कूलों को मान्यता देने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) की है। डीईओ कभी यह वेरीफाई नहीं करते कि स्कूल सीजी बोर्ड का सिलेबस पढ़ा रहे हैं, या कुछ और। नुकसान: स्कूल शिक्षा विभाग का निजी स्कूलों की निगरानी न होने से नियंत्रण न होना। नुकसान छात्र व अभिभावक को। किताबें नि:शुल्क: अगर, स्कूल सीजी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है तो उसे बोर्ड की किताबें मुफ्त में दी जाती हैं।
अभिभावकों के लिए यह जानना जरूरी है पहली से 8वीं तक कोई बोर्ड नहीं होता। डीईओ स्कूलों को मान्यता देता है। सीबीएसई से 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं की मान्यता मिलती है। अगर, स्कूल 9वीं से 12वीं तक सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है, तो वह स्कूल में पहली से 12वीं तक सीबीएसई से मान्यता प्राप्त कहलाएगा।
अगर, आप अपने बच्चों का दाखिला सीबीएसई स्कूल में करवाने जा रहे हैं तो स्कूल का सीबीएसई एफिलिएशन चेक करें। एफिलिएशन नंबर को चेक करें। इसके बाद दाखिला लें।