UN की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक रेड मीट कम खाना चाहिए. क्योंकि इसमें ज्यादा प्रोटीन होने के कारण लिवर, किडनी, आंत और दिल से जुड़ी बीमारी हो सकती है.
UN की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक रेड मीट कम खाना चाहिए. कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि ज्यादा नॉनवेज खाने से मोटापा बढ़ने लगता है. क्योंकि मीट में सेचपरेटेड फैट जमा रहता है. यही कारण है कि फैट इम्बैलेंस होता है. जिसके बाद लिवर-किडनी से जुड़ी बीमारी होती है. ज्यादा नॉनवेज खाने डायजेस्टिव सिस्टम भी काफी खराब असर पड़ता है.
डाइट में फाइबर कम होने के कारण आंत में खराबी या इंफेक्शन होने का खतरा फैल जाता है. पेट में एसिड बढ़ने के कारण बोन्स-ज्वाइंट्स में भी दर्द और परेशानी होने लगती है. अक्सर हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आपको नॉनभेज ज्यादा खाना पसंद हैं तो आपको उसमें ढेर सारी सब्जियां और फलियां मिलाकर खाना चाहिए.
नॉनवेज के साथ ढ़ेर सारी सब्जी और सैलेद खाने की अक्सर सलाह दी जाती है क्योंकि शरीर में प्रोटीन के साथ फाइबर भी जाए. हालांकि कुछ सालों से ग्लोबल लेबल पर प्लांट बेस्ड फूड का ग्लोबल लेबल पर ट्रेंड कर रहा है.
इस रिसर्च में लगभग 30, 000 लोगों के डेटा को शामिल किया गया. इसमें इन लोगों के डाइट से जुड़े सवालों को शामिल किया गया. शोधकर्ताओं ने इन व्यक्तियों को लाइफटाइम रिस्क पूलिंग प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका में छह संभावित समूह अध्ययनों से चुना. इन समूहों में शामिल हैं. ARIC (समुदायों में एथेरोस्क्लेरोसिस जोखिम) अध्ययन, CARDIA (युवा वयस्कों में कोरोनरी धमनी जोखिम विकास) अध्ययन, CHS (हृदय स्वास्थ्य अध्ययन), FHS (फ़्रेमिंघम हार्ट स्टडी), FOS (फ़्रेमिंघम संतान अध्ययन), और MESA ( एथेरोस्क्लेरोसिस का बहु-जातीय अध्ययन).
अध्ययन में पाया गया कि जो लोग हर सप्ताह दो बार रेड मीट या प्रोसेस्ड मीट खाते हैं. उन्हें दिल का दौरा और स्ट्रोक सहित हृदय रोग का जोखिम (क्रमशः) 3% से 7% अधिक था, और सभी कारणों से मृत्यु का जोखिम 3% अधिक था.
शोधकर्ताओं ने कहा कि प्रति सप्ताह दो बार मुर्गी पालन करने वाले लोगों में हृदय रोग का जोखिम 4% अधिक पाया गया, लेकिन मुर्गी पालन के बारे में स्पष्ट सिफारिश करने के लिए सबूत पर्याप्त नहीं थे. अध्ययन में मछली खाने और हृदय रोग या मृत्यु दर के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया.