मैनपाट के टाइगर प्वाईंट में भीषण आग, 9 अस्थाई दुकानें जलकर खाक, दुकानदारों को भारी नुकसान

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले स्थित मैनपाट के प्रसिद्ध हिल स्टेशन के टाइगर प्वाईंट इलाके में शुक्रवार रात को भीषण आग लग गई। आग की शुरुआत अस्थाई दुकानों से हुई, और कुछ ही समय में यह आग जंगल तक फैल गई। इस आगजनी में 9 अस्थाई दुकानें जलकर खाक हो गईं। घटना के बाद देर रात तक आग पर काबू पाने के प्रयास जारी थे। इस घटना का असर स्थानीय दुकानदारों पर भी पड़ा, जिन्होंने अपनी दुकानें और सामान पूरी तरह से खो दिए।

आग की शुरुआत और फैलाव

घटना कमलेश्वरपुर थाना क्षेत्र के टाइगर प्वाईंट की है। जानकारी के अनुसार, रात के समय अस्थाई दुकानों में आग लगने की सूचना मिली। ये दुकाने आमतौर पर रात में खाली रहती हैं, लेकिन शुक्रवार रात को इन दुकानों से आग की लपटें उठने लगीं। दुकानों के पास लगे जंगल में भी आग फैलने लगी, जिससे आग और बढ़ने लगी। आगजनी में दुकानों के अंदर रखे सभी सामान भी जलकर राख हो गए। स्थानीय लोग और वन कर्मी आग को बुझाने की कोशिश में जुटे रहे, लेकिन आग का फैलाव बहुत तेजी से हुआ, जिससे नुकसान अधिक हुआ।

दुकानदारों को हुआ भारी नुकसान

मैनपाट में आने वाले पर्यटकों के लिए अस्थाई दुकानों में नाश्ता, स्नैक्स, पानी और अन्य जरूरी सामानों की बिक्री होती है। इस घटना में जिन दुकानदारों की दुकानें जल गईं, उन्हें हजारों का नुकसान हुआ है। इनमें से कुछ दुकानदारों के नाम हैं – राजाराम यादव, अनिल यादव, जमुना यादव, कैलाश यादव, बिंदा यादव, सुमेद यादव, गोस्वामी यादव, सोनू यादव और शिवकुमार यादव। इन सभी ने अपनी दुकानें खो दीं और उनके व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ा।

इन दुकानों में पर्यटकों के बैठने के लिए कुर्सियाँ, टेबल और अन्य सामान रखा जाता था। आग ने दुकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, और इन सामानों के साथ ही कई महत्वपूर्ण सामान भी जल गए।

आगजनी के पीछे असामाजिक तत्वों का हाथ होने की आशंका

आग के फैलने के बाद प्राथमिक तौर पर यह आशंका जताई जा रही है कि आग असामाजिक तत्वों द्वारा लगाई गई हो सकती है। इन अस्थाई दुकानों को लकड़ी, प्लास्टिक तिरपाल और पत्तों से बनाया गया था, जो जलने में ज्यादा समय नहीं लेते। कुछ ही देर में आग ने भयावह रूप ले लिया और देखते ही देखते दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया।

जंगल तक पहुंची आग

आग अस्थाई दुकानों से शुरू होकर जंगल तक फैल गई। जंगल में सूखी पत्तियों का ढेर पड़ा था, जिससे आग का फैलाव और तेजी से हुआ। स्थानीय लोग और वनकर्मी मिलकर आग पर काबू पाने के प्रयास करते रहे, लेकिन आग को बुझाने में समय लग रहा था। देर रात तक स्थानीय लोग और वन कर्मी जंगल में फैली आग पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे थे।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया

घटना के बाद वन विभाग को आगजनी की सूचना दी गई और पुलिस भी मामले की जांच कर रही है। कमलेश्वरपुर थाना पुलिस ने इस आगजनी की जांच शुरू कर दी है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आग कैसे और क्यों लगी।

मैनपाट के पर्यटन स्थल पर संकट

मैनपाट एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जहां हर मौसम में सैकड़ों सैलानी आते हैं। इन सैलानियों के लिए अस्थाई दुकानदारों द्वारा नाश्ता, स्नैक्स, पानी, चाय, और अन्य आवश्यक सामान बेचे जाते हैं। इन दुकानों में सैलानियों के बैठने के लिए बैठने की व्यवस्था भी होती है। आग के कारण इन दुकानदारों को न केवल वित्तीय नुकसान हुआ है, बल्कि सैलानियों के लिए अस्थाई दुकानों की सेवा भी प्रभावित हुई है।

आगजनी के कारण और आगामी कदम

आग के कारण यह सवाल उठता है कि मैनपाट जैसे पर्यटन स्थल पर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं और क्या इससे पर्यटन पर कोई असर पड़ेगा। अस्थाई दुकानों में आग लगने से पर्यटन स्थल के वातावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। प्रशासन को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। आगजनी में दुकानदारों के नुकसान की भरपाई के लिए भी उचित उपायों की जरूरत है।

दूसरी तरफ, आगजनी की घटना ने यह भी सवाल उठाया है कि अस्थाई दुकानों को बनाते समय सुरक्षा उपायों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया। जिन अस्थाई दुकानों में आग लगी, वे लकड़ी और प्लास्टिक तिरपाल से बनाई गई थीं, जो जलने के लिए अत्यधिक संवेदनशील थीं।

भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे?

अब यह देखना यह है कि प्रशासन और स्थानीय निकाय क्या कदम उठाते हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। अस्थाई दुकानों के निर्माण में सुरक्षा नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। साथ ही, पर्यटकों के लिए उचित व्यवस्था और सुरक्षा सुनिश्चित करना भी प्रशासन की जिम्मेदारी है।

निष्कर्ष:
मैनपाट के टाइगर प्वाईंट इलाके में शुक्रवार रात को लगी आग में 9 अस्थाई दुकानें जलकर खाक हो गईं। इस आगजनी में दुकानदारों को भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय लोग और वनकर्मी देर रात तक आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे। आगजनी के कारणों पर जांच चल रही है, और प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। अब यह देखना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।

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