बिलासपुर: दो महीने से वेतन नहीं मिलने पर NTPC के ठेका मजदूरों का हंगामा

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मजदूरी नहीं मिली, उल्टा धमकाया और काम से निकाल दिया

बिलासपुर के सीपत स्थित NTPC (नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन) में काम करने वाले 35 ठेका श्रमिकों को दो महीने से वेतन नहीं मिला। सिमर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और उसके ठेकेदारों पर मजदूरी रोकने का आरोप है।

✅ मजदूरों का कहना है कि जब उन्होंने अपनी मजदूरी मांगी, तो उन्हें धमकी देकर चुप करा दिया गया।
✅ यहां तक कि उनका गेट पास भी जब्त कर लिया गया और काम से निकाल दिया गया।
✅ इस अन्याय के खिलाफ मजदूरों ने मटेरियल गेट के पास विरोध प्रदर्शन किया और हंगामा मचाया।

मजदूरों की शिकायत है कि कड़ी मेहनत करने के बावजूद उन्हें उनका मेहनताना नहीं मिल रहा, जिससे उनकी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।


क्या है पूरा मामला?

NTPC में ठेका मजदूरों को ठगे जाने का आरोप

✅ बिलासपुर के सीपत में NTPC के अंदर ठेका मजदूरों से जनवरी और फरवरी के दो महीनों तक काम करवाया गया।
✅ काम खत्म होने के बाद ठेकेदारों ने उनकी मजदूरी देने से इनकार कर दिया।
✅ जब मजदूरों ने वेतन की मांग की, तो उन्हें धमकाया गया और गेट पास जब्त कर लिया गया।
✅ इतना ही नहीं, उन्हें काम से भी निकाल दिया गया, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया।

मजदूरों के साथ इस तरह का व्यवहार न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन भी है।


कौन है जिम्मेदार?

इस पूरे मामले में सिमर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और उसके पेटी ठेकेदार रंजन कुमार सिंह का नाम सामने आया है।

✅ इस कंपनी ने मजदूरों को जनवरी में काम पर रखा था, लेकिन अब तक उनका वेतन नहीं दिया गया।
✅ मजदूरों की शिकायत के बाद कंपनी प्रबंधन ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया।
✅ गेट पास जब्त कर उनके काम पर रोक लगा दी गई, जिससे वे पूरी तरह बेरोजगार हो गए।

यह मामला सिर्फ मजदूरों का शोषण ही नहीं, बल्कि एक संगठित अनदेखी का भी प्रतीक है, जिसमें कंपनियां ठेका मजदूरों को उनका हक देने से बचती हैं।


कंपनी के मैनेजर और एचआर पर भी आरोप

✅ मजदूरों का आरोप है कि जब वे वेतन मांगने पहुंचे, तो कंपनी के मैनेजर और एचआर ने भी उन्हें धमकाया।
✅ वे कहते हैं कि ठेकेदारों और प्रबंधन की मिलीभगत से उनका पैसा दबाया जा रहा है।
✅ ऐसे में मजदूरों के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा, इसलिए उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया।

मजदूरों को न सिर्फ उनका हक मारा जा रहा है, बल्कि उन्हें धमकाकर डराने की भी कोशिश की जा रही है।


मजदूरों का हंगामा और प्रशासन की चुप्पी

✅ जब मजदूरों ने अपनी शिकायत सुनी नहीं पाई, तो उन्होंने NTPC के मटेरियल गेट पर हंगामा कर दिया।
✅ वेतन न मिलने के कारण उनके परिवार आर्थिक संकट में आ गए हैं।
✅ कई मजदूरों के घरों में खाने तक के पैसे नहीं हैं, और बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है।
✅ इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

अगर मजदूरों को जल्द न्याय नहीं मिला, तो विरोध और तेज हो सकता है।


क्या कहता है श्रम कानून?

भारत में श्रम कानून के अनुसार, किसी भी मजदूर को समय पर वेतन देना कंपनी की जिम्मेदारी होती है।

✅ मजदूरी अधिनियम, 1936 के अनुसार, किसी भी श्रमिक का वेतन देरी से नहीं रोका जा सकता।
✅ अगर मजदूर को समय पर वेतन नहीं मिलता, तो ठेकेदार और कंपनी पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
✅ मजदूरों को धमकाना और जबरदस्ती गेट पास जब्त करना एक गंभीर अपराध है।

अगर मजदूर श्रम विभाग में शिकायत दर्ज करवाते हैं, तो कंपनी और ठेकेदार पर कार्रवाई की जा सकती है।


मजदूरों की मांग क्या है?

✅ मजदूरों का कहना है कि उन्हें तुरंत उनके दो महीने की मजदूरी दी जाए।
✅ जिन्हें नौकरी से निकाला गया है, उन्हें वापस काम पर रखा जाए।
✅ ठेकेदार और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
✅ भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए श्रम विभाग और सरकार सख्त नियम लागू करे।

अगर मजदूरों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।


सरकार और प्रशासन को क्या करना चाहिए?

✅ मजदूरों की शिकायत को गंभीरता से लेना चाहिए और उनके वेतन भुगतान की गारंटी करनी चाहिए।
✅ ठेकेदारों और कंपनियों की मनमानी को रोकने के लिए श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करना चाहिए।
✅ मजदूरों के शोषण की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए।
✅ यदि किसी कंपनी या ठेकेदार ने मजदूरी रोकी, तो उस पर जुर्माना लगाया जाए।

अगर सरकार और प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो यह मामला और बढ़ सकता है और मजदूरों के विरोध प्रदर्शन उग्र हो सकते हैं।


निष्कर्ष: मजदूरों के हक की लड़ाई जारी

✅ NTPC के 35 ठेका मजदूरों को दो महीने से वेतन नहीं मिला।
✅ जब उन्होंने वेतन मांगा, तो उन्हें धमकाकर चुप करा दिया गया और काम से निकाल दिया गया।
✅ मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
✅ श्रम कानून के अनुसार, मजदूरी रोकना अवैध है और इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
✅ अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो मजदूर बड़े पैमाने पर आंदोलन कर सकते हैं।

अब देखना यह है कि प्रशासन और सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है या मजदूरों को उनके हक के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

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