छत्तीसगढ़ PSC सिविल जज परीक्षा में अनियमितता का आरोप

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OBC वर्ग के अभ्यर्थी को ST आरक्षण का लाभ देकर चयन का मामला

✅ बालोद जिले में PSC परीक्षा में आरक्षण नियमों के उल्लंघन का आरोप
✅ ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी को ST आरक्षित सीट पर चयनित किया गया
✅ शिकायतकर्ता ने इस चयन को रद्द करने की मांग की
✅ PSC ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया


क्या है पूरा मामला?

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) द्वारा आयोजित 2023 की सिविल जज परीक्षा में बड़ी अनियमितता सामने आई है।
शिकायतकर्ता खेमलाल पाथरे का आरोप है कि अत्नु प्रसाद नाम के एक अभ्यर्थी को गलत तरीके से ST आरक्षित सीट पर चयनित किया गया, जबकि जमीनी दस्तावेजों के अनुसार वह ओबीसी वर्ग (केंवट जाति) से संबंधित है।


शिकायतकर्ता का क्या कहना है?

खेमलाल पाथरे ने बताया कि उनके पास सभी प्रमाण हैं, जिनसे यह साबित होता है कि अत्नु प्रसाद ओबीसी वर्ग का है, लेकिन उसे अनुसूचित जनजाति (ST) के तहत चयनित किया गया।
इस चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी से अन्य योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है, जिसमें उनकी भतीजी अंजु पाथरे भी शामिल हैं, जिन्होंने इस परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की थी।
शिकायतकर्ता ने PSC से इस चयन को निरस्त करने की मांग की है और अन्याय के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं।


शिकायत के आधार पर अनियमितता कैसे साबित हो रही है?

✅ आधिकारिक रिकॉर्ड में अत्नु प्रसाद ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी है।
✅ कोरिया जिले के बैकुंठपुर निवासी अत्नु प्रसाद के जमीन के दस्तावेजों में उनकी जाति “केंवट (OBC)” दर्ज है।
✅ जिला प्रशासन के रिकॉर्ड (खसरा, खतौनी, बी-1 दस्तावेज) में भी उनकी जाति ओबीसी के रूप में दर्ज है।
✅ इसके बावजूद, उन्हें ST के आरक्षित कोटे के तहत चयनित किया गया।

शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि सही प्रक्रिया अपनाई गई होती, तो अन्य योग्य ST अभ्यर्थियों को उनका हक मिल सकता था।


क्या है PSC की भूमिका और अब तक की प्रतिक्रिया?

इस गंभीर आरोप के बावजूद, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
PSC का कोई भी अधिकारी इस मामले पर खुलकर बात नहीं कर रहा है, जिससे अभ्यर्थियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
यदि शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज सही पाए जाते हैं, तो PSC पर पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।


शिकायतकर्ता न्याय की मांग के लिए अदालत का रुख करेंगे

✅ अंजु पाथरे और उनके परिवार ने PSC से न्याय की मांग की है।
✅ अगर आयोग इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं करता, तो शिकायतकर्ता न्यायालय की शरण में जाएंगे।
✅ इस मामले के उजागर होने से PSC परीक्षा में पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं, जिससे अन्य अभ्यर्थियों में भी रोष है।

अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग इस मामले पर क्या कार्रवाई करता है और क्या चयन प्रक्रिया की दोबारा जांच होगी।


इस मामले का असर – योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय?

अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह स्पष्ट होगा कि PSC की चयन प्रक्रिया में बड़ी खामियां हैं।
ऐसे कई अन्य मामले भी सामने आ सकते हैं, जहां गलत तरीके से आरक्षण का लाभ उठाकर अभ्यर्थियों को चयनित किया गया हो।
इससे असली हकदारों के साथ अन्याय होगा और परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।


क्या होना चाहिए आगे का कदम?

✅ PSC को इस मामले की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।
✅ यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो अत्नु प्रसाद का चयन रद्द कर अन्य योग्य अभ्यर्थियों को मौका दिया जाना चाहिए।
✅ भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए चयन प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
✅ शिकायतकर्ता के पास पर्याप्त सबूत हैं, इसलिए PSC को जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।


निष्कर्ष – PSC की निष्पक्षता पर सवाल, न्याय की उम्मीद

छत्तीसगढ़ PSC की चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप ने परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय न हो, इसके लिए जांच जरूरी है।
PSC की चुप्पी से अभ्यर्थियों में असंतोष बढ़ रहा है।
अब यह देखना होगा कि आयोग इस मामले में क्या निर्णय लेता है और क्या योग्य अभ्यर्थियों को न्याय मिलेगा।

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