संयुक्त राष्ट्र टूरिज्म ने 60 देशों के श्रेष्ठ ग्रामों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में सूची जारी की है। इसमें भारत के एक मात्र गांव का चयन अपग्रेडेशन यानी उन्नयन प्रोग्राम कैटेगरी में हुआ है। यह गांव बस्तर जिले का ग्राम धुडमारास है। इस गांव में जंगलों के बीच बैंबू राफ्टिंग से लेकर कयाकिंग तक की सुविधा उपलब्ध है। यह गांव कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के घने जंगलों से घिरा हुआ है। गांव के बीच से बहती कांगर नदी इसे और मनमोहक बना देती है। इस गांव की मूलभूत आवश्यकता पानी, बिजली और जरूरी कामों के लिए सौर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर छत्तीसगढ़ क्रेडा ने इस काम को पूरा किया है। इस गांव की हर गली, सड़क एवं चौक-चौराहों को सोलर पावर से रौशन किया गया है। यहां जगह-जगह स्ट्रीट लाइट भी लग गई है। इसके अलावा साफ पानी के लिए सोलर पेयजल पंप की भी स्थापना की गई है। क्रेडा के सीईओ राजेश सिंह राणा ने बताया कि गांव में 9 मीटर, 1200 वॉट क्षमता के 2 संयंत्रों से चौक के सभी चौक-चौराहों में बिजली की व्यवस्था की गई है।
10.5 किलोवॉट क्षमता के सोलर पावर प्लांट से गलियों में 57 स्ट्रीट लाइट लगाई गई है। 2.4 किलोवॉट क्षमता के सोलर पावर प्लांट मय पीडीएन से वहां के स्कूल भी रौशन किए गए हैं। 6 मीटर, 5000 लीटर क्षमता के सोलर ड्यूल पंप संयंत्र से गांव में साफ पानी की सप्लाई की जा रही है।
उन्होंने बताया कि बस्तर के अधिकतर गांवों में क्रेडा की ओर से सौर ऊर्जा आधारित स्ट्रीट लाइटें, सिचाई पंप और घरों में बिजली पहुंचाने की योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इससे न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो रहा है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है।
आजादी के 78 वर्ष बाद जिला नारायणपुर के घोर नक्सल प्रभावित ग्राम मसपुर, मेटानार, कस्तुरमेटा तथा जिला दंतेवाड़ा के ग्राम बासनपुर, झिरका, कामालूर, धुरली व गामावाड़ा एवं जिला सुकमा के ग्राम पूवर्ती, सिलेगर एवं टेकलगुड़ा में सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था के लिए सोलर हाईमास्ट संयंत्रों की स्थापना की गई है।