बस्तर पंडुम महोत्सव में 150 प्रकार के देसी फूड्स:खाने में लजीज, सेहत के लिए बेस्ट, शुगर-बीपी करते हैं कंट्रोल; गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद…!!

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छत्तीसगढ़ का बस्तर आदिवासी संस्कृति और परंपरा के अलावा यहां के देसी खान-पान के लिए भी मशहूर है। बस्तर के जंगल और पहाड़ों से मिलने वाले 150 प्रकार के देसी कंदमूल फल, सब्जियां ही बस्तर के आदिवासियों को शारीरिक रूप से फिट रखते हैं। ये सब्जियां खाने में जितनी लजीज होती हैं, इसमें प्रोटीन की मात्रा भी भरपूर होती है। बस्तर पडुंम महोत्सव में आए ग्रामीणों का दावा है कि शरीर के लिए फायदेमंद है। कई सब्जियां ऐसी हैं जिसे डिलीवरी के बाद महिला को खिलाया जाए तो शरीर में ताकत, एनर्जी भरपूर रहेगी। कुछ सब्जियां और उसके बीज ऐसे हैं जिससे बच्चों को कृमि की बीमारी से छुटकारा मिलता है।

शुगर, ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। इनसे बने पेय पदार्थ से पेट में ठंडक और बदन में फुर्ती आती है। आदिवासियों का दावा है कि इन 150 प्रकार की सब्जियों में कोई सी भी एक सब्जी को आज पकाकर खा रहे हैं तो दोबारा इसे बनाने में ढाई से तीन महीने का समय लगता है। 

1. सियाड़ी बीज- ग्रामीणों का दावा है कि इससे बच्चों के पेट में कृमि की शिकायत हो तो इसका सेवन करने से यह समस्या दूर हो जाती है। यह बीज जंगल और पहाड़ी क्षेत्र में मिलता है। खाने में थोड़ा कड़वा होता है। पूर्वजों के समय से बच्चों को कृमि से छुटकारा दिलाने इसका सेवन करवाया जा रहा है।

2. दोबे- ये सब्जी पहाड़ी से मिलती है। हरे रंग का पत्ता रहता है। ग्रामीणों के अनुसार इसे पकाकर खाने से शरीर में विटामिन मिलता है। बीमारी को दूर करता है। ये बहुत रेयर है, इसे पहाड़ी में खोजना पड़ता है।

3. कोड़ो माटी – ये एक तरह का कांदा है, को जमीन के 3 फीट नीचे मिलता है। ये प्राकृतिक कांदा है और पहाड़ी इलाकों में इसकी उपज होती है। पेड़ों के जड़ों के पास ज्यादातर मिलता है। इसे गर्म पानी में उबालकर खाते हैं। सुबह, दोपहर और शाम 3 टाइम खा सकते हैं। इसके सेवन से भी शरीर में एनर्जी आती है। बाजार में बेचे तो 70 से 100 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है।

4. काला तिल और महुआ का मिश्रण – डिलीवरी के बाद महिला को खिलाया जाता है। ये खून को साफ करता है और ब्लड को बढ़ाता है। इसे मिट्टी के बर्तन में भुनकर कूटा जाता है। पाउडर की तरह बनता है। इसके सेवन से शरीर में ताकत आती है। आदिवासी पूर्वजों के समय से इसका सेवन कर रहे हैं। फिलहाल ग्रामीण अंचलों में ही इसे बनाया जाता है।

5. काला तिल और कस्सा पानी – काला तिल में गुड़ समेत अन्य देसी जड़ी-बूटी मिलाकर इसका पेस्ट तैयार किया जाता है। डिलीवरी के बाद इसे महिला को खिलाया जाता है। जिससे शरीर में ताकत आती है। साथ ही आम और महुआ छाल से कस्सा पानी बनाया जाता है। ये भी डिलीवरी के बाद महिलाओं को दिया जाता है।

6. बोहड़ कुसीड़ भाजी ये भी जंगली सब्जी है। जंगल में मिलती है।

7. कयमूल माटी कांदा – ये भी प्राकृतिक कांदा है। ब्लड को साफ करता है।

8. कोट कुसीड़ – ये भी एक तरह की जंगली सब्जी है। यानी इसकी उपज भी जंगल में होती है। प्राकृतिक है। बच्चों को कृमि की शिकायत हो तो खा सकते हैं। साथ ही पेट से संबंधित बीमारी को दूर करने में काम आती है।

9. तोया – तोया एक तरह का फल है। इसे ग्रामीण देसी अंजीर भी कहते हैं। ग्रामीणों का दावा है कि इसके सेवन से प्रोटीन मिलता है।

ये हैं पेय पदार्थ, एनर्जी के लिए आते हैं काम…

1. आवाली पत्ता- इससे आमठ बनाते हैं। ये पाचन के काम आता है। इससे अधिक भूख लगती है।

2. गढ़के जावा- ये छोटे चावल का रूप होता है। इसे 12 महीने किसी भी मौसम में पी सकते हैं। शुगर की बीमारी कंट्रोल करता है।

3. कोदो जावा – इससे भी शुगर की बीमारी कंट्रोल रहती है।

4. सुराम – ये ड्रिंक महुआ से बनता है। इसे मटकी में भरकर रखते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, सामान्य रूप से पीने में शरीर में रक्त का संचार अच्छी तरह से होता है। ब्लड बढ़ाने में काम आता है। लेकिन, ज्यादा मात्रा में सेवन करने से इससे नशा भी हो सकता है।

बस्तर पंडुम में लगाए गए स्टॉल

दंतेवाड़ा जिले में कटेकल्याण ब्लॉक के गाटम पंचायत के भीमाराम पोड़ियाम और नागेश्वरी पोड़ियाम ने इन सब्जियों और इसके फायदे की जानकारी दी है। आदिवासी समाज के इन सदस्यों ने बस्तर पंडुम में फूड स्टॉल लगाए हैं। इन्होंने इस सारे व्यंजन के बारे में जानकारी दी और दावा किया है कि इससे शरीर को फायदा मिलता है।

डाइटीशियन बोलीं – देसी सब्जियों में बहुत पौष्टिक तत्व

बस्तर की देसी सब्जियों में कितना पोषक तत्व रहता है, इसके क्या फायदे हैं? ये जानने के लिए हमने डाइटीशियन सरोज साहू से भी बातचीत की। सरोज साहू ने कहा कि, कोदो माटी में लो कार्बोहाइड्रेट होता है। इसमें मड़िया मिला दिया जाए तो कैल्शियम भी अच्छा मिलता है। आयरन भी अच्छी मात्रा में होता है जो शरीर के ब्लड बढ़ाने में काम करेगा।

सरोज साहू के मुताबिक, महुआ से रिलेटेड लड्डू का महिलाएं इस्तेमाल करती हैं तो इसके भी फायदे हैं। जिन महिलाओं को बच्चे होने के बाद फीडिंग की दिक्कत होती है। मिल्क नहीं बनता तो महुआ से बने लड्डू का सेवन करने से ये दिक्कत दूर होती है। इम्यूनिटी भी बढ़ती है।

बस्तर में पाई जाने वाली चरोटा भाजी भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें फोलिक एसिड अच्छी मात्रा में होता है। इसके सेवन से शरीर में ब्लड की कमी नहीं रहेगी। ब्लड अच्छा बनेगा।

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