छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत 43 करोड़ से अधिक का घोटाला – नेता प्रतिपक्ष ने CBI जांच की मांग की

Spread the love

मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स)

  • भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत भूमि अधिग्रहण में भारी भ्रष्टाचार का आरोप।

  • नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिख CBI जांच की मांग की।

  • असली मुआवजा 7.65 करोड़ बनता था, लेकिन 49.39 करोड़ रुपए बांटे गए।

  • 100 से ज्यादा सरकारी अफसर और भूमिस्वामी की मिलीभगत सामने आई।

  • फर्जी नामांतरण और रजिस्ट्री के जरिए मुआवजे को बढ़ाया गया।

  • राज्य सरकार द्वारा की जा रही EOW जांच पर उठाए सवाल।

  • पूरे राज्य में इस तरह की और भी गड़बड़ियों की आशंका।


भारतमाला प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला: समझिए क्या हुआ?

छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के अंतर्गत एक बहुत बड़े भूमि अधिग्रहण घोटाले का खुलासा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने आरोप लगाया है कि इस परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक बनने वाले इकोनॉमिक कॉरिडोर में जमीन अधिग्रहण के दौरान गंभीर अनियमितताएं की गईं।

उनका कहना है कि असल में जिन किसानों और ज़मीन मालिकों को सिर्फ 7.65 करोड़ रुपए का मुआवजा मिलना चाहिए था, उन्हें 49.39 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया। यानी लगभग 43 करोड़ 18 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ।


घोटाला कैसे हुआ? – आसान भाषा में समझिए

  • जब भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन अधिग्रहण की अधिसूचना निकली, तब कई फर्जी नामांतरण और फर्जी रजिस्ट्री करवाई गईं।

  • जिन लोगों का ज़मीन से कोई वास्ता नहीं था, उनके नाम पर ज़मीन रजिस्टर्ड की गई ताकि मुआवजा की रकम उन तक पहुँचाई जा सके।

  • इससे असली ज़मीन मालिकों को सही भुगतान नहीं मिला और सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा।

  • इस पूरे खेल में 100 से अधिक सरकारी अफसर और भूमिस्वामी शामिल थे।

  • उन्होंने मिलीभगत करके मुआवजे की रकम को कई गुना बढ़ा लिया।


️ विधानसभा में भी उठा था मामला

चरणदास महंत ने बताया कि उन्होंने इस पूरे मुद्दे को पहले ही राज्य विधानसभा में उठाया था। उस समय सरकार ने खुद स्वीकार किया था कि फर्जी नामांतरण हुए हैं और ज़्यादा भुगतान किया गया है।

लेकिन इसके बावजूद, सरकार ने किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की। उल्टा, उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने जांच को कमजोर करने की कोशिश की ताकि दोषियों को बचाया जा सके।


❗ EOW जांच पर उठे सवाल – क्यों मांग की जा रही CBI जांच?

इस घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को सौंपी गई है। लेकिन महंत ने सवाल उठाया कि चूंकि यह एजेंसी राज्य सरकार के अधीन है, इसलिए इससे निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।

उनका कहना है कि अगर इस मामले की जांच CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) से कराई जाए, तो ही बड़े अधिकारियों और असली दोषियों की पहचान हो सकेगी।


यह सिर्फ अभनपुर तक सीमित नहीं – पूरे राज्य में फैला है भ्रष्टाचार!

डॉ. महंत ने एक गंभीर दावा किया है कि यह घोटाला केवल अभनपुर क्षेत्र तक सीमित नहीं है। उनका कहना है कि भारतमाला परियोजना के तहत राज्य के कई हिस्सों में भी ऐसे ही भ्रष्टाचार हुए हैं।

उन्होंने कहा:

“अगर सभी भूमि अधिग्रहण मामलों की CBI से जांच नहीं कराई गई, तो बहुत से दोषी लोग बच निकलेंगे और जनता को न्याय नहीं मिलेगा।”


भारतमाला परियोजना क्या है? (जनता के लिए सरल जानकारी)

भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की एक बहुत ही बड़ी योजना है, जिसका उद्देश्य देश में अत्याधुनिक और सुरक्षित हाईवे नेटवर्क बनाना है। इसके तहत बड़े शहरों, बंदरगाहों, औद्योगिक क्षेत्रों और सीमावर्ती इलाकों को आपस में जोड़ा जाता है।

इस योजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाया जा रहा है, जिससे दोनों राज्यों के बीच व्यापार, पर्यटन और यातायात को बढ़ावा मिलेगा।


जनता को कैसे प्रभावित करता है यह घोटाला?

  1. सरकारी पैसे की बर्बादी: यह पैसा जनता का है, जो टैक्स के रूप में सरकार को दिया जाता है। जब इतनी बड़ी रकम भ्रष्टाचार में चली जाती है, तो बाकी विकास कार्य प्रभावित होते हैं।

  2. ईमानदार किसानों को नुकसान: असली ज़मीन मालिकों को सही मुआवजा नहीं मिलता, और फर्जी लोगों को भुगतान हो जाता है।

  3. भविष्य की परियोजनाओं पर असर: अगर ऐसे घोटाले होते रहेंगे, तो भविष्य में सरकार की योजनाओं पर जनता का भरोसा उठ जाएगा।


अब क्या हो सकता है? – आगे की संभावित कार्रवाई

  • केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की गई है।

  • अगर केंद्र सरकार इस पर ध्यान देती है, तो इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो सकती है।

  • जांच में दोषी पाए गए लोगों पर आर्थिक दंड, सरकारी नौकरी से बर्खास्तगी और कानूनी कार्यवाही की संभावना है।


✅ जनता को क्या करना चाहिए?

  • इस तरह की घटनाओं पर नजर रखें और सोशल मीडिया या स्थानीय प्रशासन के माध्यम से आवाज उठाएं।

  • अगर आप किसी सरकारी योजना में गड़बड़ी देखें तो उसकी शिकायत सीधा CVC या EOW को करें।

  • नेताओं और अधिकारियों से पारदर्शिता की मांग करें।


अगर आप चाहें तो मैं इस खबर को यूट्यूब वीडियो स्क्रिप्ट, न्यूज़ आर्टिकल या इंस्टाग्राम पोस्ट के लिए भी तैयार कर सकता हूँ। बताइए, किस फॉर्मेट में चाहिए?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *