राजधानी में नगर निगम चुनाव के पहले हुए 20 करोड़ के काम अब दोबारा तोड़े जा रहे, नए पार्षदों की मर्जी से फिर से हो रहे निर्माण

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राजधानी में सड़कों और नालियों की खुदाई पर बवाल: नगर निगम के 20 करोड़ रुपए के काम छह महीने में ही बर्बाद

छत्तीसगढ़ की राजधानी में हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव से पहले तेजी से किए गए 20 करोड़ रुपए से ज्यादा के निर्माण कार्य अब खुदाई और तोड़फोड़ की भेंट चढ़ रहे हैं। चुनाव से पहले बनाए गए सड़कों, गलियों और नालियों को अब फिर से खोदा जा रहा है या तोड़ा जा रहा है, जिससे न केवल जनता को परेशानी हो रही है, बल्कि सरकारी धन की बर्बादी पर भी सवाल उठ रहे हैं।


1. चुनाव के पहले हड़बड़ी में हुए काम, अब दोबारा खुदाई

चुनाव के पहले जोर-शोर से शहर की सड़कों और गलियों की मरम्मत कराई गई थी। लेकिन अब वही काम छह महीने में दोबारा तोड़ा जा रहा है। फिलहाल राजधानी के करीब दो दर्जन वार्डों में जगह-जगह खुदाई का काम चल रहा है।

कभी पाइपलाइन बिछाने के नाम पर सड़कों को खोदा जा रहा है
तो कहीं नालियों की दिशा या बनावट गलत बताकर दोबारा निर्माण किया जा रहा है
गर्मी में पानी की कमी को लेकर जगह-जगह नए नल लगाने और बोरिंग के लिए भी खुदाई हो रही है


2. नए पार्षदों को पुराने काम पसंद नहीं आ रहे

इस बार नगर निगम में 70 में से दो-तिहाई पार्षद नए हैं। यही नहीं, 10 में से 9 जोन में जोन अध्यक्ष भी पहली बार चुनाव जीते हुए पार्षद हैं। नए चुने गए पार्षदों को पुराने कार्यकाल में हुए निर्माण कार्य पसंद नहीं आ रहे। उनका कहना है कि पिछले कार्यकाल में कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए काम किए गए थे, इसलिए अब उन्हें सुधारा जा रहा है।

नए पार्षद अपने समर्थकों और इलाके के लोगों के सुझावों के अनुसार काम करवा रहे हैं
वे पुराने कामों को हटाकर फिर से टेंडर पास करवा रहे हैं
निगम के अधिकारी भी पार्षदों के दबाव में हैं और कुछ नहीं बोल पा रहे


3. 20 लाख तक के काम सीधे जोन दफ्तर से जारी

शहर के हर जोन कार्यालय से सीधे-सीधे टेंडर जारी हो रहे हैं। खास बात यह है कि 20 लाख रुपए तक के निर्माण कार्यों के लिए टेंडर की प्रक्रिया जोन स्तर पर ही पूरी हो जाती है। ऐसे में नए पार्षद अपने हिसाब से वार्डों में काम करवा रहे हैं।

इसके चलते कई बार एक ही जगह बार-बार खुदाई हो रही है
पुराने और नए कामों में कोऑर्डिनेशन की कमी के कारण पैसा और समय दोनों बर्बाद हो रहा है


4. पुराने वार्ड नंबरों से भी हो रही है दिक्कत

नगर निगम ने नए परिसीमन के बाद वार्डों के नंबर बदले हैं, लेकिन टेंडर पुराने नंबरों के अनुसार ही जारी किए जा रहे हैं। इससे पार्षद और ठेकेदार दोनों भ्रम में हैं। कई बार गलत जगह पर काम शुरू हो जाता है या किसी जरूरी जगह पर काम नहीं हो पाता।

यह तकनीकी गड़बड़ी नागरिकों के लिए परेशानी और अफसरों के लिए आलोचना का कारण बन रही है


5. गर्मी में पानी की किल्लत से मचा हड़कंप, वैध-अवैध नल लगाए जा रहे

जैसे ही गर्मी शुरू हुई, राजधानी के कई वार्डों में पानी की भारी कमी देखी गई। इससे निपटने के लिए वैध और अवैध दोनों प्रकार के नल लगाए जा रहे हैं।

नए पार्षद अपने क्षेत्रों में लोगों के घरों में जाकर खुद समस्या जान रहे हैं
इसके बाद निगम के ठेकेदारों से नल लगवाए जा रहे हैं या बोरिंग करवाई जा रही है
बस्तियों में भी पाइपलाइन या छोटे जल स्रोत बनाए जा रहे हैं


6. अफसर चुप हैं, पार्षदों की चल रही है मर्जी

निगम के 10 जोन के अफसर इन सभी गतिविधियों पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। जब वे किसी काम को तकनीकी कारणों से मना करते हैं, तो ऊपर से फोन आ जाता है – “पार्षद जैसा कहें वैसा करें।”

इससे अफसर भी चुप हो गए हैं
कामों में पारदर्शिता की कमी देखी जा रही है
कई बार अफसरों की सलाह को नजरअंदाज कर सीधे आदेश दिए जा रहे हैं


7. पुराने गलत निर्माण को सुधारने का दावा

कुछ पार्षदों का कहना है कि वे केवल पुराने समय में गलत तरीके से बने निर्माण कार्यों को ठीक करवा रहे हैं। उदाहरण के लिए, गलत ढलान वाली नालियों को हटाकर सही दिशा में बनाई जा रही हैं, ताकि पानी भरने की समस्या ना हो।

नए पार्षदों का यह भी कहना है कि जनता की सेवा और सुविधा के लिए वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं


8. जनता परेशान, बार-बार खुदाई से रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित

भले ही पार्षदों की मंशा सही हो, लेकिन बार-बार सड़कों की खुदाई से जनता बहुत परेशान है।

सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे और धूल से गुजरना मुश्किल हो गया है
वाहनों को चलाने में परेशानी, दुर्घटनाओं का खतरा
छोटे व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा है क्योंकि ग्राहक नहीं आ पा रहे


9. क्या होगा समाधान?

राज्य सरकार और नगर निगम को अब इस मामले में सख्त और स्पष्ट गाइडलाइन जारी करनी होगी:

  • ✔️ पुराने निर्माण को हटाने से पहले तकनीकी जांच जरूरी

  • ✔️ एक ही जगह पर बार-बार काम ना हो

  • ✔️ सभी कामों की जानकारी पारदर्शिता से जनता को दी जाए

  • ✔️ नए पार्षदों को कार्य प्रक्रिया और तकनीकी पक्ष की ट्रेनिंग दी जाए

  • ✔️ नागरिकों को परेशानी से बचाने के लिए योजना अनुसार काम हो


निष्कर्ष:

यह सही है कि नए चेहरे जोश में हैं और जनता के लिए काम करना चाहते हैं, लेकिन बिना समन्वय और योजना के काम करने से नुकसान ज्यादा हो रहा है।
सरकार और नगर निगम को मिलकर एक ऐसा सिस्टम बनाना होगा जिससे काम समय पर, जरूरत के हिसाब से और जनता को परेशान किए बिना पूरे किए जा सकें।
वरना हर चुनाव के बाद पुराना तोड़ो – नया बनाओ का ये चक्र जारी रहेगा और जनता की समस्याएं जस की तस बनी रहेंगी।

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