इन्द्रावती नदी की धार लौटी : छत्तीसगढ़ को मिलने लगा 49 % पानी, अवरोधों को हटाने से जल संकट का हुआ निदान

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लीलाधर राठी- सुकमा। इंद्रवाती नदी से छत्तीसगढ़ के हिस्से को मिल रहा पानी सोलह प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत मिलने लगा है। यही नहीं आने वाले समय में जल संकट का सामना न करना पड़े, इसके लिए भी कवायद चल रही है। जिसके लिए ओडिशा राज्य नदी में साढ़े तीन करोड़ की लागत से इंद्रावती-जोरानाला के अपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम में जमा सिल्ट,लूज बोल्डर,पत्थर,रेत की बोरी,मिट्टी को स्थाई रूप से नदी से बाहर करने के लिए तैयारी कर रहा है। जिससे पानी का बहाव नैसर्गिक तरीके से होता रहेगा। साथ ही छत्तीसगढ़ को अपने हिस्से का 50 प्रतिशत पानी मिलना शुरू होगा।

इस पर आने वाला खर्च भी उड़ीसा सरकार देगी। स्वीकृति मिलने के बाद एजेंसी तय कर जून 2025 तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और सिंचाई मंत्री केदार केश्यप की पहल से यह सकार हो रहा है। गर्मी शुरू होते ही इंद्रावती में जल संकट गहराने लगा था। सिंचाई  मंत्री केदार कश्यप जी ने राजस्थान के उदयपुर में केंद्रीय मंत्री सी आर पाटिल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जल परिषद की बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। बैठक में उड़ीसा के सीएम और जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। समस्या को देखते हुए तय हुआ कि इसका समाधन निकाला जाए। 

49 % छत्तीसगढ़ को मिल रहा पानी 

सीएम विष्णुदेव साय ने उड़ीसा प्रवास के दौरान वहां के सीएम मोहन चरण मांझी के साथ मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर ध्यान दिलाया और इसके बाद तत्काल कवायद शुरू हो गई। दोनों राज्यों के सिंचाई विभाग एवं प्रशासनिक अमले ने संयुक्त अवलोकन किया। इसके बाद अस्थाई तौर पर छत्तीसगढ़ की ओर जल प्रवाह में रुकावट बन रहे समस्याओं का निराकरण किया गया। जिसके परिणामस्वरूप 16 प्रतिशत जो पानी छत्तीसगढ़ को मिलता था वह बढ़कर पहले 40, 42 फिर 45 और अब 49 प्रतिशत पहुंच गया है।

Indravati River -Chhattisgarh- 49% water obstructions
50-50% पानी बंटवारे के लिए पक्के का तैयार किया जायेगा स्ट्रक्चर

समझौते के तहत 50- 50% जल का करार हुआ है 

समझौते के अनुसार दोनों राज्यों को 50- 50 प्रतिशत पानी का करार है। इस तरह से अस्थाई व्यवस्था में 49 प्रतिशत पानी मिलने लगा है। छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग 11 अप्रैल को हाइड्रोलिक कंट्रोल स्ट्रक्चर को किए गए मापन में देखा कि, इंद्रावती नदी में जल का प्रवाह 11 क्यूमेक हो गया जो मार्च के अंतिम सप्ताह में 2 क्यूमेक तक गिर गया था। इंद्रावती में बढ़े जल प्रवाह का लाभ छत्तीसगढ़ राज्य को भी मिल रहा है। अब राज्य की ओर 5.4 क्यूमेक जल प्रवाहित हो रहा है। अगर इसी प्रकार की स्थिति रही तो बस्तर जिले में जल की उपलब्धता प्रभावी रूप से हो सकेगी साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए प्रयाप्त जल मिल सकेगा।

अवरोधों को हटाया तो मिलने लगा पानी

बस्तर जिले में गर्मी के मौसम में पेयजल संकट को देखते हुए छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के अधिकारियों ने 27 फरवरी और 21 मार्च 2025 को इन्द्रावती-जोरा नाला के मुहाने  का संयुक्त निरीक्षण किया। इस दौरान बनी सहमति के अनुसार, हाइड्रोलिक कंट्रोल स्ट्रक्चर के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में जमा रेत, लूज बोल्डर, रेत बोरी और अन्य अवरोधों को हटाकर अस्थायी रास्ता बनाया गया। इस कार्य को 30 मार्च 2025 तक पूरा किया गया। 

स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाए गए हैं

दोनों राज्यों के बीच सचिव स्तरीय वार्ता में बस्तर जिले में गहराते पेयजल संकट को दृष्टिगत रखते हुए राजेश सुकुमार टोप्पो सचिव जल संसाधन छत्तीसगढ़ ने राज्य के   हितों की रक्षा और जल बंटवारे को सुनिश्चित करने के लिए स्थायी समाधान पर जोर दिया। इन्द्रावती-जोरा नाला मुहाने पर बने हाइड्रोलिक कंट्रोल स्ट्रक्चर के दोनों ओर जमा रेत,पत्थर,मिट्टी और अन्य अवरोधों को स्थायी रूप से हटाने के लिए जल संसाधन विभाग उड़ीसा द्वारा उड़ीसा सरकार को प्रस्तुत साढ़े तीन करोड़ रुपये के प्राक्कलन को यथाशीघ्र स्वीकृति हेतु सचिव जल संसाधन उड़ीसा से आग्रह किया जिस पर सचिव उड़ीसा ने सहमति दी है। स्वीकृति मिलने के बाद एजेंसी तय कर जून 2025 तक कार्य पूरा कर लिया जाएगा। 

50- 50 प्रतिशत पानी के बंटवारे के लिए पक्के का तैयार किया जाएगा स्ट्रक्चर 

जोरा नाला की समस्या की जड़ ग्राम सूतपदर है, जहां उड़ीसा सीमा पर इन्द्रावती दो धाराओं में बंट जाती है। एक धारा इन्द्रावती नदी के रूप में पांच किलोमीटर उड़ीसा में बहकर ग्राम भेजापदर से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करती है। यह धारा आगे जगदलपुर और चित्रकोट होते हुए गोदावरी में मिलती है। दूसरी धारा जोरा नाला के रूप में 12 किलोमीटर बहकर शबरी (कोलाब) नदी में मिलती है। पहले दोनों धाराओं में पानी बराबर बंटता था। समय के साथ जोरा नाला का बहाव बढ़ता गया और इन्द्रावती का बहाव घटता गया। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के प्रमुख अभियंताओं की बैठक में निर्णय लिया गया कि इन्द्रावती-जोरा नाला संगम पर 50-50 प्रतिशत जल बंटवारे के लिए पक्का स्ट्रक्चर बनाया जाएगा। 

232 किमी छत्तीसगढ़ में बहती है इंद्रावती

इंद्रावती का उद्गम उड़ीसा राज्य के कालाहांडी जिले के रामपुर धुमाल नाम के गांव से हुआ है। इंद्रावती नदी 164 किमी उड़ीसा राज्य में बहने के बाद 9 किमी लंबाई में छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा बनाते हुए छत्तीसगढ़ में प्रवेश करती है एवं 232 किमी छतीसगढ़ में बहने के बाद 129 किमी महाराष्ट्र एव छत्तीसगढ़ की सीमा बनाते हुए गोदवारी नदी में मिलती है। इस प्रकार ये नदी 534 किमी बहने के बाद उद्गम स्थल से बहने के बाद गोदावरी में मिलती है।

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