भारतमाला में गड़बड़ी : भेलवाडीह से नायकबांधा तक ‘भ्रष्टाचार-माला’, किसने खरीदी जमीन, कौन ले गया मुआवजा

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गौरव शर्मा  – रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर विशाखापट्टनम कॉरीडोर में जमीनों के बंदरबांट को लेकर हरिभूमि ने सिलसिलेवार खुलासे किए। खुलासों के बाद हरिभूमि की टीम भेलवाडीह से नायकबांधा तक प्रभावित गांवों में पहुंची। इस दौरान एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। हरिभूमि को मिली रिपोर्ट में नायकबांधा से टोकरो तक जिन लोगों के करोड़ों रुपए मुआवजा लेने का उल्लेख है, उनमें से 70 फीसदी लोगों को ग्रामीण पहचानते तक नहीं। 

ग्रामीणों ने बताया कि,  नई सड़क का नोटिफिकेशन होते ही बड़े पैमाने पर बाहरी लोग आए और जमीनों की खरीदी बिक्री का सिलसिला शुरु कर दिया। कई ग्रामीण ऐसे भी हैं, जिन्होंने औने पौने दाम में अपनी जमीनें बेची। बाद में पता चला कि उन्हीं जमीनों के टुकड़े कर बाहर से आए लोगों ने करोड़ों रुपए मुआवजा ले लिया। गांव के जिन लोगों की जमीनें टुकड़ों में बंटकर भारतमाला प्रोजेक्ट की जद में आई, अब वे कुछ भी कहने से तो कतरा ही रहे हैं। उन्हें जांच एजेंसियों के पहुंचने और जांच का डर भी सता रहा है।

सरपंच ने कहा- आधे से ज्यादा बाहरी 

हरिभूमि की टीम ने नायकबांधा गांव पहुंचकर सरपंच भारती गौकरण साहू से मुलाकात की। मुआवजा लेने वालों के नाम, खसरा नंबर के आधार पर जानकारी मांगी। इस दौरान सरपंच ने अधिकतर लोगों के बाहरी होने की बात कही। गौकरण साहू ने बताया, सड़क के लिए निर्माण शुरु होने के पहले ही बड़ी संख्या में कारोबारियों और बाहरी लोगों ने जमीनें खरीद ली। इन्हीं लोगों ने बाद में मुआवजा भी ले लिया। इसके बाद से वे गांव से नदारद हैं। 

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ग्रामीण पूछते रहे- कैसे होगी वसूली 

नायकबांधा, टोकरो और उरला में हरिभूमि की टीम ने मुआवजा लेने वाले ग्रामीणों से बातचीत की, लेकिन वे कुछ भी कहने तैयार नहीं हुए। इस दौरान ग्रामीण जमीनों के टुकड़े कर भारी भरकम मुआवजा लेने  वालों पर कार्रवाई को लेकर सवाल पूछते नजर आए। हर कोई जानना चाहता है कि जिन्होंने अधिक राशि ली, उनसे वसूली कैसे होगी? क्या उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी या जो राशि दी गई है, उसे भी वापस लिया जाएगा।

अरबों रुपए बंट गए फिर भी नहीं मिली राशि 

भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत भेलवाडीह से उरला, झांकी, नायकबांधा और सातपारा तक जमीनों के टुकड़े कर मुआवजे का बड़ा खेल हुआ। इसके बाद भी यह तथ्य सामने आया कि अब भी बड़ी संख्या में किसानों को राशि नहीं मिली है। हरिभूमि को मिली जानकारी के अनुसार अब तक 6 गांवों के 506 भूस्वामियों को 243 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान किया जा चुका है। अब भी 206 कृषकों का 81 करोड़ 46 लाख 19 हजार 797 रुपए का मुआवजा बाकी है।

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