पहलगाम, जम्मू-कश्मीर का एक खूबसूरत इलाका, जो अब तक अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता था, मंगलवार को एक भयानक आतंकी हमले का गवाह बना। इस हमले में 27 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। यह खबर पूरे देश के लिए चौंकाने वाली रही और हर किसी का दिल दहला दिया।
हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दौरा:
हमले के अगले ही दिन, यानी बुधवार को देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद पहलगाम के बैसरन मैदान पहुंचे। वे हेलीकॉप्टर से उस स्थान पर उतरे जहां हमला हुआ था। यह वही जगह है जहां चारों ओर घास फैली होती है और पर्यटक पिकनिक मनाने या प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने आते हैं। लेकिन अब वहां शांति की जगह डर और मातम का माहौल है।
घटना स्थल पर सेना पहले ही तैनात कर दी गई थी और पूरे इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। जैसे ही अमित शाह वहां पहुंचे, चारों तरफ सुरक्षा एजेंसियों की हलचल तेज हो गई।
घटना स्थल पर गहरा दुख और संवेदना:
अमित शाह ने सबसे पहले श्रीनगर में पुलिस नियंत्रण कक्ष के बाहर आयोजित एक श्रद्धांजलि समारोह में भाग लिया। वहाँ उन्होंने आतंकियों के हमले में मारे गए लोगों को पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। यह एक बहुत ही भावुक पल था।
इस दौरान उन्होंने उन परिवारों से भी मुलाकात की, जिनके अपने इस हमले में मारे गए। शाह के चेहरे पर साफ-साफ दुख देखा जा सकता था। जिन परिवारों ने अपने प्रियजन खो दिए थे, वे अमित शाह से मिलकर अपनी पीड़ा साझा करते हुए रो पड़े। केंद्रीय मंत्री ने उन्हें सांत्वना दी और भरोसा दिलाया कि दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।
अमित शाह का सख्त संदेश:
बाद में अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा:
“देश कभी आतंकवाद के आगे नहीं झुकेगा। पहलगाम में जिन निर्दोष लोगों की हत्या की गई है, उनके दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।”
यह बयान देशवासियों के लिए एक स्पष्ट संकेत था कि सरकार इस घटना को गंभीरता से ले रही है और कठोर कार्रवाई की जाएगी।
अन्य नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रिया:
इस हमले के बाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा भी पहलगाम पहुंचे और श्रद्धांजलि समारोह में शामिल हुए। उन्होंने मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और पीड़ित परिवारों के प्रति सहानुभूति जताई।
पहलगाम की छवि पर असर:
पहलगाम हमेशा से एक शांत और सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। लेकिन यह आतंकी हमला इस क्षेत्र की छवि को धूमिल कर गया। ऐसा लग रहा है कि जैसे एक शांत झील में किसी ने पत्थर फेंक दिया हो और उसके बाद की लहरें अब तक शांत नहीं हुईं।
यह हमला 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में हुए सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है। इससे पहले, कश्मीर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा था और पर्यटक भी बड़ी संख्या में आने लगे थे। लेकिन इस हमले ने एक बार फिर से असुरक्षा का डर फैला दिया है।
समाज और व्यापारिक संगठनों की भूमिका:
घटना के बाद स्थानीय व्यापारी संघों और अन्य सामाजिक संगठनों ने इस कायराना हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने आज कश्मीर घाटी में पूर्ण बंद का आह्वान किया है। सभी दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद रखा गया है और लोग सड़कों पर उतरकर शांति मार्च निकाल रहे हैं। यह पूरे समाज की एकजुटता और पीड़ितों के प्रति संवेदना को दर्शाता है।
हमले की पृष्ठभूमि और असर:
सुरक्षा एजेंसियां इस हमले की गहराई से जांच कर रही हैं। यह साफ है कि आतंकियों का मकसद कश्मीर की शांति को भंग करना और पर्यटन को नुकसान पहुंचाना था। लेकिन सरकार और सुरक्षाबल इस चुनौती का डटकर सामना कर रहे हैं।
लोगों में डर और आक्रोश दोनों:
स्थानीय लोगों के बीच डर का माहौल है, लेकिन साथ ही उनमें गुस्सा भी है। वे चाहते हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द सज़ा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।