छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में तेलंगाना सीमा के पास स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ इन दिनों देशभर की सुर्खियों में है।
यहां पिछले एक हफ्ते से देश के तीन बड़े राज्यों के हजारों सुरक्षाबलों ने चारों ओर से घेरा डाल रखा है।
अब आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि आख़िर इस पहाड़ में ऐसा क्या खास है?
क्यों नक्सली यहां महीनों का राशन और पानी जमा करके छुपे बैठे हैं?
तो चलिए, हम आपको एक-एक सवाल का सीधा और सरल जवाब देते हैं।
कर्रेगुट्टा पहाड़ की खासियत क्या है?
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यह पहाड़ चारों ओर से घने जंगलों और ऊंची चट्टानों से घिरा हुआ है।
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इसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां से भागना या अंदर घुसना बेहद मुश्किल है।
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पानी के छोटे-छोटे स्त्रोत (छोटे झरने) और पहाड़ी झीलें यहां मौजूद हैं, जिससे नक्सली लंबे समय तक टिक सकते हैं।
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आसपास के इलाके में इंसानों की आवाजाही भी बहुत कम है, इसलिए नक्सली इसे अपना सुरक्षित ठिकाना मानते हैं।
इस समय स्थिति कैसी है?
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नक्सली चारों तरफ से जवानों के घेरे में फंस चुके हैं।
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अगर वे पहाड़ से नीचे उतरते हैं तो उन्हें गोलियों का सामना करना पड़ेगा।
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वहीं, अगर पहाड़ पर ही ज्यादा दिन छिपे रहते हैं तो खाने-पीने की कमी और डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) से मरने का खतरा है।
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जवानों ने पहाड़ के चारों तरफ अपनी पोजीशन मजबूत कर ली है और इस बार बिना पूरी सफाई के पीछे हटने का इरादा नहीं है।
कौन-कौन से नक्सली फंसे हो सकते हैं?
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सूत्रों के मुताबिक देश के टॉप मोस्ट वांटेड नक्सली, जिनके ऊपर करोड़ों रुपए का इनाम है, वे भी इन्हीं पहाड़ियों में छुपे हो सकते हैं।
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यही वजह है कि इस बार सरकार ने देश का अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन छेड़ा है।
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सुरक्षाबलों का मकसद है कि चाहे जितना भी समय लगे, कर्रेगुट्टा पहाड़ से नक्सलियों का सफाया कर दिया जाए।
ऑपरेशन का दबाव: नक्सलियों का बदला रुख
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जब सुरक्षाबलों का दबाव बढ़ा और लगने लगा कि फंसे हुए नक्सली या तो मारे जाएंगे या डिहाइड्रेशन से मर जाएंगे, तब नक्सलियों की तरफ से चौंकाने वाला कदम सामने आया।
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नक्सली नेता रूपेश ने एक प्रेस नोट जारी कर सरकार से अपील की कि ऑपरेशन को रोका जाए और शांति वार्ता की पहल की जाए।
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यह पहली बार नहीं है कि नक्सली बातचीत की बात कर रहे हैं, लेकिन इस बार परिस्थिति उनके मजबूर होने का संकेत दे रही है।
क्यों आई शांति वार्ता की बात?
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ऐसा माना जा रहा है कि नक्सली खुद समझ रहे हैं कि अगर उन्होंने जल्द कदम नहीं उठाया तो या तो गोलियों से मारे जाएंगे या फिर बिना पानी-भोजन के पहाड़ पर मर जाएंगे।
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कर्रेगुट्टा में जो टॉप नक्सली नेता छुपे हैं, उनके बाहर के साथियों को भी अंदाजा हो चुका है कि हालात गंभीर हो चुके हैं।
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इसलिए शांति वार्ता की पेशकश, असल में बचने की एक कोशिश है।
आगे क्या हो सकता है?
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सुरक्षाबलों के उच्चाधिकारियों का कहना है कि ऑपरेशन तब तक चलेगा जब तक कर्रेगुट्टा पहाड़ी पूरी तरह खाली नहीं हो जाती।
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नक्सलियों की वार्ता की पेशकश पर सरकार का अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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सूत्रों के मुताबिक, जवानों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि नक्सलियों को किसी भी हाल में बचकर भागने नहीं देना है।
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यह ऑपरेशन लंबा खिंच सकता है लेकिन सुरक्षाबलों का मनोबल बहुत ऊंचा है।
हेलीकॉप्टर से ली गई पहाड़ी की ताजा झलकियां
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कर्रेगुट्टा पहाड़ की स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए सुरक्षाबलों ने हेलीकॉप्टर से वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई है।
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इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि पहाड़ के चारों ओर जवान किस तरह मोर्चा संभाले हुए हैं।
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जंगल और पहाड़ी रास्ते इतने मुश्किल हैं कि नक्सलियों के लिए बच निकलना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
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वीडियो देखने के बाद आपको भी अंदाजा हो जाएगा कि नक्सली किस कठिनाई में फंसे हैं।
⭐ मुख्य बिंदु (Highlights):
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कर्रेगुट्टा पहाड़ पर देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन चल रहा है।
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तीन राज्यों के हजारों जवानों ने पहाड़ को चारों ओर से घेरा है।
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टॉप मोस्ट वांटेड नक्सली इन पहाड़ियों में फंसे हुए हैं।
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नक्सली नेता ने प्रेस नोट जारी कर शांति वार्ता की पेशकश की है।
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ऑपरेशन तब तक चलेगा जब तक पहाड़ी पूरी तरह खाली नहीं हो जाती।
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सुरक्षाबलों ने पहाड़ी की निगरानी के लिए हेलीकॉप्टर से वीडियो भी बनाया है।