सैय्यद वाजिद- मुंगेली। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के मनियारी नदी बढ़ते गर्मी के शुरुआत में ही पहली बार सूखकर मैदान में तब्दील हो गई है। जिसके चलते सरगांव क्षेत्र के सैकड़ों बोरवेल्स बंद हो गए हैं। जलस्तर इतनी तेजी से नीचे चला गया वहीं सैकड़ों फिट नीचे भी पानी का नामोनिशान नहीं है। जिसके कारण अब लोगों को पानी के लिए त्राहिमाम होना पड़ रहा है।
सूख गई नदी, बन गया मैदान
यहां की मनियारी नदी पूरी तरह सूख गई है जो देखने में खेल की मैदान की तरह नजर आ रहा है। नदी के सूखने के कारण क्षेत्र में जलस्तर सैकड़ों फीट नीचे चला गया है। जिसके चलते अब जल संकट की स्थिति बन गई है। सूखे बोर और हैंडपंप अब पानी की जगह सिर्फ हवा दे रहा है, लोगों की पीने और निस्तार के पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है।

पानी के लिए मचा हाहाकार
सूखे की गंभीर समस्या को देखते हुए जलजीवन मिशन योजना से पानी की सप्लाई बंद हो गया है। वहीं निर्माण कार्य और अधिक जल उपयोगिता पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालात ऐसे इसलिए बने है कि जल का अनियोजित तरीके से उपयोग किया गया। यहां के पथरिया-सरगांव क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत हो गई है। आसपास के ग्रामीण इलाकों में पीने और निस्तारी के लिए जल के नाम पर हाहाकार मचा हुआ है। बोर का पानी सैकड़ो फिट नीचे चले जाने से 24 गांव के 662 बोर बन्द है। यह मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन,अत्यधिक सिंचाई, और भू-जल के अति-उपयोग एवं नदी के पानी का औद्योगिक प्लांट में अनियोजित तरीके से उपयोग जैसे कारकों के कारण हुआ है।
600 फिट में भी नहीं निकला पानी
इन दिनों गर्मी अपने रौद्र रूप में है भीषण गर्मी के चलते नदी और नलकूप सुख रहे हैं पानी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। इससे लोगों को पानी की बहुत ज्यादा किल्लत हो रही है। बड़ी-बड़ी नदियां सूख रही है सरगांव क्षेत्र की 662 बोर का पानी सैकड़ो फिट तक नीचे चला गया है। यहां तक कि बताया जा रहा कि चंदखुरी क्षेत्र में 600 फिट में भी पानी निकल नही पा रहा है। जिससे ग्रामीणों को पानी की बहुत समस्या हो रही है, वहीं ग्रामीणों को नदी के सूख जाने से आम निस्तारी की भी समस्या हो रही है। वहीं जानवर को पानी पिलाने नहलाने जैसी बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसा हुआ दोहन की बन गया मैदान
सरगांव में ग्राम सल्फा-खम्हारडीह के पास मनियारी नदी पूरी तरह से सूख चुकी है। मनियारी जो कभी कल कल धुन से इठलाती बहा करती थी। उस मनियारी नदी के पानी से लोगों की प्यास बुझा करती थी वो नदी आज शांत और मैदान बनकर रह गई है। जो नदी आम लोगों की निस्तारी हुआ करती थी वह आज खुद पानी के लिए तरस रही है। ग्रामीणों का कहना है कि, नदी का पानी उद्योगों को दिया जा रहा है इसलिए भी पानी बहुत तेजी से नदियों में सूखते जा रहा है।
अनियोजित तरीके से हुआ जल का दोहन- अर्जुन तिवारी
कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़ के महामंत्री अर्जुन तिवारी ने सरगांव क्षेत्र में लगातार बढ़ते उद्योग पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा – प्लांटों को नदियों के पानी का लगातार दोहन करने की वजह से जलस्तर तेजी से नीचे चला गया है। सरगांव क्षेत्र में प्रवाहित नदियों पर अब खतरा मंडरा रहा है। इस क्षेत्र में बने कुसुम स्मेल्टर्स औद्योगिक प्लांट द्वारा मनियारी नदी में अनियोजित तरीके से जल का दोहन किया गया है। जिसकी वजह से यह हालात बना हुआ है वही औद्योगिक प्लान निर्माण के समय कई तरीके के फायदे बताए जाते है। लेकिन औधोगिक प्लांट लगने के बाद वहां क्या हालात है वह ग्रामीण ही जानते है।

मदकूद्वीप पर भी लग सकता है सूखे का ग्रहण
गर्मी के शुरुआत में पानी की भारी किल्लत से जूझना पड़ रहा है। जैव विविधता और मनमोहन दृश्य से लुभाने वाला मदकूद्वीप के इस क्षेत्र में नदी और बोर का जल स्तर तेजी से नीचे चले जाने से नदी सुख गई है तो बोर से पानी की जगह हवा निकल रहे है। पीएचई विभाग के अनुसार जलस्तर नीचे जाने से 300 से अधिक बोर बन्द पड़े है। इसकी वजह से जलजीवन मिशन से पानी की सप्लाई बंद है। वही पंचायत की बात की जाए तो 24 गांव के 662 बोर बन्द पड़े हुए है। विभाग के अनुसार इसकी प्रमुख वजह गर्मी की फसल में जल का भारी उपयोग करना सामने आया है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में औद्योगिक प्लांट स्थापित है। वहीं कई प्लांट का निर्माण प्रस्तावित है। नदी का पानी अनियोजित तरीके से प्लांट प्रबन्धन उपयोग करने की वजह से पहली बार ऐसी हालत हुई कि मनियारी नदी सुख गया बोर का पानी सैकड़ो फिट नीचे गिर गया। आलम यही रहा तो निश्चित तौर पर प्रवाहित इन नदियों पर संकट मंडरा रहा है साथ ही अगर इस पर कोई विशेष पहल नही की गई तो वो दिन दूर नही की इस क्षेत्र से नदियों का अस्तित्व खत्म हो जाए।