छत्तीसगढ़ के पंडरिया शक्कर कारखाना के निजीकरण को लेकर विवाद छिड़ गया है। श्रमिक कल्याण संघ ने इसका विरोध जताते हुए प्रबंध संचालक को ज्ञापन सौंपा है। श्रमिकों का कहना है कि, निजीकरण करने से युवा और किसान बेरोजगार हो जायेंगे। वहीं इस दौरान श्रमिकों ने मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आन्दोलन की चेतावनी भी दी है।
श्रमिकों का कहना है कि,पंडरिया स्थित शक्कर कारखाना शुगर उत्पादन के क्षेत्र में देश और प्रदेश में नंबर 1 पर है। आज निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। कारखाना को महज लगभग 9 साल चालू हुआ है, लेकिन 9 साल में ही कारखाना को निजीकरण करने की बात चल रहा है। जो कि बहुत गलत और निंदनीय हैं। जिससे श्रमिकों को बेरोजगार करने और क्षेत्र की किसानों को भारी नुकसान होगा। जबकि कारखाना में युवाओं को रोजगार देने और किसानों को फायदा पहुंचाने के खोला गया था।

उग्र आन्दोलन की दी चेतावनी
विरोध प्रदर्शन करने वाले श्रमिकों ने कहा कि, युवाओं को बेरोजगार और किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है जो युवा और किसान को छला जा रहा है और इनके रोजी रोटी छीन कर पेट में लात मार रहे हैं। श्रमिक कल्याण संघ का कहना है यदि कारखाना प्रबंधक और शासन प्रशासन निजीकरण पर रोक नहीं लगाता तब कारखाना के समस्त श्रमिक मिलकर जल्द ही उग्र आंदोलन करेंगे।
श्रमिकों ने सौंपा ज्ञापन
हम अगर आन्दोलन करेंगे तो उसकी जवाबदेही कारखाना प्रबंधक और शासन प्रशासन की होगी। कारखाना प्रबंधक को ज्ञापन देने के लिए श्रमिक कल्याण संघ के अध्यक्ष रमाशंकर विश्वकर्मा,सचिव अजय बंजारे, कोषाध्यक्ष सत्यप्रकाश मानिकपुरी और संयुक्त सचिव मेलन दास मानिकपुरी,सदस्य संतराम वर्मा,बिसेन साहू,अश्वनी साहू,जागेश्वर कुर्रे,वीरेंद्र साहू उपस्थित रहे।