श्रमिक दिवस : छत्तीसगढ़ में महिलाएं ज्यादा मेहनतकश, पुरुषों से दोगुनी संख्या में तोड़ रही पत्थर

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक संख्या में मेहनतकश हैं। ये महिलाएं पत्थर तोड़ने, मकान बनाने से लेकर कुंए खोदने जैसे भारी मेहनत करने वाले काम खामोशी से कर रही हैं, लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए जान झोंकने वाली इन महिलाओं की संख्या राज्य में पुरुषों से दोगुनी है। श्रम दिवस के मौके पर इन महिलाओं की पत्थर तोड़ती तस्वीरें तो सामने आ जाती हैं, लेकिन हकीकत में उनके जीवन का रंग नहीं बदल पाता है। 

राज्य में शासन द्वार भवन और सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में मकान बनाने और अन्य सन्निर्माण में लगे श्रमिकों का पंजीयन किया जाता है। मंडल में पंजीकृत श्रमिकों के आंकड़े देखने से यह तस्वीर साफ होती है कि राज्य की गरीब महिलाएं अपने घर-परिवार की जिम्मेदारियों के अलाव रोजी-रोटी कमाने के लिए भारी मेहनत के काम कर रही हैं। इस काम में वे पुरुषों से आगे हैं।

महिला मेहनकश पुरुषों से अधिक 

राज्य के भवन निर्माण एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल की रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी से 2024 से लेकर 31 दिसंबर तक की स्थित में मंडल में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या इस प्रकार है। कुल महिला श्रमिकों की संख्या 3 लाख 13 हजार 688 है, जबकि इसी अवधि में पंजीकृत पुरुष श्रमिकों की संख्या 1 लाख 4 हजार 533 है। यही आंकड़ा बताता है कि मेहनत का काम करने वाले श्रमिकों में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले तीन गुनी है।

इन जिलों में सबसे अधिक महिला श्रमिक 

राज्य के जिलों में पंजीकृत महिला श्रमिकों की संख्या भी एक कहानी बता रही है। रायपुर राज्य का अकेला जिला हैर जहां सबसे अधिक 36 हजार 429 महिलाएं कड़ी मेहनत के साथ मजदूरी करती हैं। इसके बाद धमतरी में 23 हजार से अधिक, बिलासपुर में लगभग 23 हजार, राजनांदगांव में 22 हजार 687, दुर्ग में 19 हजार 378, महासमुंद में 16 हजार 823, जांजगीर चांपा में पौने 13 हजार, कांकेर में पौने 14 हजार, बालोद में 15 हजार, कर्वधा में साढ़े 13 हजार, महिलाएं ये मजदूरी करती हैं। राज्य में कुल पंजीकृत महिला श्रमिक 19 लाख 25 हजार, 877 है। जबकि इसी श्रेणी में पंजीकृत पुरुष श्रमिकों की संख्या 8 लाख 71 हजार 17 है।

इन जिलों में सबसे अधिक महिला श्रमिक 

राज्य के जिलों में पंजीकृत महिला श्रमिकों की संख्या भी एक कहानी बता रही है। रायपुर राज्य का अकेला जिला हैर जहां सबसे अधिक 36 हजार 429 महिलाएं कड़ी मेहनत के साथ मजदूरी करती हैं। इसके बाद धमतरी में 23 हजार से अधिक, बिलासपुर में लगभग 23 हजार, राजनांदगांव में 22 हजार 687, दुर्ग में 19 हजार 378, महासमुंद में 16 हजार 823, जांजगीर चांपा में पौने 13 हजार, कांकेर में पौने 14 हजार, बालोद में 15 हजार, कर्वधा में साढ़े 13 हजार, महिलाएं ये मजदूरी करती हैं। राज्य में कुल पंजीकृत महिला श्रमिक 19 लाख 25 हजार, 877 है। जबकि इसी श्रेणी में पंजीकृत पुरुष श्रमिकों की संख्या 8 लाख 71 हजार 17 है।

कौने कहलाते हैं निर्माण श्रमिक 

किसी भवन या निर्माण कार्य में अकुशल या कुशल श्रमिक के रूप में शारीरिक, पर्यवेक्षणिक, तकनीकी अथवा लिपकीय कार्य भाड़े या पारिश्रमिक के लिये करता हो वे सब निर्माण श्रमिको में शामिल होते हैं। इसी तरह निर्माण श्रमिक के प्रवर्ग भी होते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में भवन तथा अन्य सन्निर्माण कार्य में शामिल अधिसूचित 60 प्रवर्ग में यह काम करने वाले श्रमिक आते हैं। पत्थर काटने वाले या पत्थर तोड़ने वाले या पत्थर पीसने वाले. राजमिस्त्री (मैसन) या ईटों पर रद्दा करने वाले, बढ़ई (कारपेंटर) लकड़ी की सामग्रियों में पेंटिंग एवं वार्निशिंग करने वाले कर्मकार, पुताई करने वाले (पेंटर), फिटर या बार वेंडर, सड़क के पाईप मरम्मत करने वाले प्लमबर, नाली निर्माण, इलेक्ट्रशियन, रेजा, कुली, हथौड़ा चलाने वाले, रेत या गिट्टी मजदूर, सड़क कर्मकार, सीमेंट पोल, जाली बनाने वाले, चट्टान तोडने, मिक्सर मशीन चलाने सहित कई और काम शामिल हैं।

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