झीरम कांड का बदला : कर्रेगुट्टा पहाड़ पर छुपे टॉप नक्सल लीडर्स को 25 मई के आस-पास अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी

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छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों के आस- पास देश का सबसे बड़ा एंटी नक्सल आपरेशन चल रहा है। इसी पहाड़ी पर बड़ी संख्या में टाप नक्सली लीडर्स बुरी तरह घिरे हुए हैं। नीचे फोर्स की मौजूदगी के चलते वे ना तो उतरकर भाग पा रहे हैं और ना ही ज्यादा दिन पहाड़ी के ऊपर रह पाएंगे। अब इस बीच सबसे बड़ी खबर यह है कि, पहाड़ी पर छुपे नक्सलियों की टाप लीडरशिप को जवान 25 मई के आस-पास उनके अंजाम तक पहुंचा सकते हैं। 25 मई को ही झीरम घाटी कांड हुआ था।  

14 वें दिन 24 हजार जवान हैं तैनात
उल्लेखनीय है कि, देश के सबसे बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन को शुरू हुए आज 14 वां दिन है। बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद से जवानों की संख्या और बढ़ा दी गई है। बताया जा रहा है कि, सुरक्षाबलों के लगभग 24 हजार जवानों ने कर्रेगुट्टा पहाड़ी को चारों ओर से घेर रखा है। इसके लिए झारखंड से CRPF की टुकड़ियां बुलाई गई हैं। इतनी बड़ी संख्या में तैनात जवानों के लिए राशन-पानी लगातार हेलिकॉप्टर से भेजा जा रहा है। 

एक हजार नक्सलियों के छुप सकने लायक गुफा  

 

उतर भागने का मंसूबा नहीं हो पा रहा पूरा
सूत्रों के मुताबिक यह ऑपरेशन अभी और लम्बा खिंच सकता है। बताया जा रहा है कि, नक्सली लीडर्स 4 महीने का राशन लेकर कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर चढ़े हैं। माना जा रहा है कि, अभी लगभग 20-25 दिनों का ही राशन नक्सलियों के पास बचा होगा। ऐसा बताया जा रहा है कि, नक्सली मुठभेड़ की स्थिति में पहाड़ से उतरने के लिए मोटी और लंबी रस्सियां लेकर चढ़े थे, लेकिन पहाड़ को जवानों के द्वारा चारों ओर से घेर लिए जाने के कारण वे उतरकर भाग निकलने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। 

 

झीरम घाटी कांड का बदला लेगी सरकार?
सूत्र यह भी बता रहे हें कि, सरकार कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर नक्सलियों से झीरम हमले का बदला ले सकती है। यानि नक्सलियों के साथ बड़ा एनकाउंटर 25 मई को हो सकता है। कहा जा रहा है कि, कर्रेगुट्टा पहाड़ परन ज्यादातर नक्सलियों के टाप लीडर्स छुपे हुए हैं। इन्हीं लीडर्स पर झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमले की योजना को अंजाम देने का शक है। झारम घाटी पर वह बड़ा हमला 25 मई को ही हुआ था। अब 25 मई आने में सिर्फ 20 दिन ही बचे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि, 25 मई या उसके आसपास ही इन नक्सल लीडर्स को उनके अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। 

Jhiram Valley incident

उधर नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे सबसे बड़े ऑपरेशन को रोककर शांतिवार्ता के लिए तेलंगाना और आंध्रा से चली मुहिम अब शांत पड़ गई है। माना जा रहा है कि, केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के सख्त रुख के चलते वहां के नेताओं ने अब इस दिशा में पहल करनी छोड़ दी है। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता भी अब इस आपरेशन को लेकर सरकार के सुर में सुर मिलाते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि, केंद्र के सख्त रुख और नक्सल समर्थक का लेबल लगने से बचने के लिए कांग्रेस की टाप लीडरशिप ने अपने नेताओं को मैसेज भेजा है।

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