जातिगत जनगणना को लेकर भाजपा धमतरी जिला अध्यक्ष प्रकाश बैस ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा देश में जातिगत जनगणना कराए जाने का जो निर्णय लिया गया है। वह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और समान अवसर की भावना को सशक्त करने वाला एक क्रांतिकारी कदम है।
श्री बैस ने आगे कहा कि आज़ादी के 75 वर्षों बाद देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब केंद्र सरकार ने समाज के सभी वर्गों की यथार्थ स्थिति को समझने और उसके अनुरूप नीति निर्माण की ठोस पहल की है। जातिगत जनगणना के माध्यम से समाज के वंचित, उपेक्षित और पीछे छूटे वर्गों की वास्तविकता सामने आएगी, जिससे उचित संसाधन वितरण और योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक पहुंच सकेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह निर्णय न केवल प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता और सामाजिक समरसता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि भाजपा केवल वोट बैंक की राजनीति नहीं करती, बल्कि सर्वांगीण राष्ट्र निर्माण के लिए साहसिक निर्णय लेने से पीछे नहीं हटती।
योजनाओं को प्रभावी रूप से किया जाएगा क्रियान्वित
श्री बैस ने कहा कि यह कदम केवल आंकड़े जुटाने का कार्य नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को बराबरी का अधिकार दिलाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है। इससे नीतिगत स्तर पर शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास जैसी योजनाएं अधिक प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की जा सकेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि जो राजनीतिक दल वर्षों से सामाजिक न्याय की बात करते रहे, उन्होंने कभी भी इतने बड़े और आवश्यक निर्णय की कल्पना भी नहीं की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने यह सिद्ध कर दिया है कि राजनीति सेवा का माध्यम होती है, केवल सत्ता प्राप्ति का नहीं।
जातिगत जनगणना से समावेशी विकास मॉडल तैयार होगा
श्री बैस ने विश्वास व्यक्त किया कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर देश में नई योजनाओं, नई सोच और नया समावेशी विकास मॉडल तैयार होगा, जिससे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी। इससे हर समाज, हर वर्ग और हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का समान अवसर मिलेगा। अंत में श्री बैस ने समस्त जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस निर्णय का स्वागत करते हुए जनगणना प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग करें, ताकि एक सशक्त, समावेशी और समरस भारत का निर्माण संभव हो सके।